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महायुति सरकार की सच्चाई उजागर …महाराष्ट्र में कानून का शासन कमजोर! …हाई कोर्ट ने लगाई जबरदस्त फटकार

– अदालत के आदेश पर भी कार्रवाई नहीं
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई हाई कोर्ट ने कल शुक्रवार को महाराष्ट्र सरकार पर कड़ी नाराजगी जताई और कहा कि उसके साफ-साफ आदेश के बावजूद पुलिसवालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करना बहुत गंभीर मामला है। कोर्ट ने कहा कि इससे समाज में गलत संदेश जा रहा है और महाराष्ट्र में कानून का शासन कमजोर हो रहा है।
हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि वह बदलापुर स्कूल यौन उत्पीड़न मामले के आरोपी अक्षय शिंदे की हिरासत में मौत के सिलसिले में उसके स्पष्ट आदेश के बावजूद पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज नहीं किए जाने से ‘स्तब्ध’ है। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने चेतावनी दी कि यदि आज (शुक्रवार) को उसके आदेश का पालन नहीं किया गया तो वह महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करेगी। अदालत ने कहा कि उसके पिछले आदेश का ‘बेशर्मी से उल्लंघन’ किया गया जो आपराधिक अवमानना ​​के बराबर है। हाई कोर्ट ने सात अप्रैल को अपने आदेश में कहा था कि जब अपराध का प्रथम दृष्टया खुलासा होता है, तो जांच एजेंसी के लिए प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य होता है, जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने ललिता कुमारी मामले में दिए निर्णय में निर्धारित किया है। अदालत ने संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) लखमी गौतम की निगरानी में एक विशेष जांच दल के गठन का आदेश दिया था। उसने कहा था कि गौतम अपनी पसंद के अधिकारियों को शामिल करते हुए एसआईटी का गठन करेंगे और इसका नेतृत्व पुलिस उपायुक्त करेंगे। उसने पुलिस हिरासत में शिंदे की मौत की जांच कर रहे राज्य के सीआईडी को दो दिन के भीतर मामले के सभी दस्तावेज गौतम को सौंपने का निर्देश दिया था। जब पीठ को शुक्रवार को पता चला कि आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है तो उसने सरकार को कड़ी फटकार लगाई।

आदेश का बेशर्मी से उल्लंघन
हाई कोर्ट ने कहा कि वह इस बात से ‘स्तब्ध’ है कि उसके आदेश का पालन नहीं किया गया। उसने कहा, ‘हमारे आदेश का बेशर्मी के साथ उल्लंघन किया गया। ऐसा वैâसे हो सकता है कि राज्य सरकार हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेशों का पालन न करे? अगर मामले के कागजात आज ही हस्तांतरित नहीं किए गए तो आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करनी होगी।’

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल
सरकारी वकील हितेन वेनेगांवकर ने अदालत को बताया कि सरकार ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए ९ अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने कहा कि याचिका पर सुनवाई पांच मई को होने की संभावना है।

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