सामना संवाददाता / मुंबई
साल २०२४ को अब महज तीन दिन ही बचे हुए हैं। पुराने साल को गुड बाय और नए साल का स्वागत करने में लोग जुटे हुए हैं। इन सबके बीच मुंबई मनपा ने एक बार फिर से अपने वादों को तोड़ने का काम किया है। इसके तहत कई सालों से तैयार किए जा रहे मुंबई के चार उपनगरीय अस्पतालों को इसी साल कायापलट करने का वादा था, जिसे अभी तक पूरा नहीं किया जा सका है। ऐसे में मुंबईकरों को आनेवाले साल में भी इसका इंतजार करना पड़ेगा। नायर में वैंâसर मरीजों के लिए अलग से बन रही इमारत का काम भी कछुए की गति से चल रहा है। इसी में मनपा की ओर से कई प्रमुख अस्पतालों में नई योजनाएं भी शुरू कर दी गई हैं। दूसरी तरफ जीरो प्रिस्किप्शन पॉलिसी और एचएमआईएस योजना को भी मनपा लागू करने में विफल रही है।
उल्लेखनीय है कि मुंबई मनपा अस्पतालों में हर दिन राज्य और देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में मरीज इलाज के लिए आते हैं। इसमें केईएम, सायन, नायर और कूपर जैसे प्रमुख अस्पतालों में हर दिन भीड़ रहती है। मनपा के प्रमुख अस्पतालों पर पड़ रहे बोझ को कम करने के लिए १६ उपनगरीय अस्पतालों का विस्तार शुरू किया गया था। इसमें राजावाड़ी, बांद्रा का भाभा, गोवंडी का शताब्दी, बोरीवली का भगवती, मुलुंड का एमटी अग्रवाल अस्पताल का प्रमुख रूप से समावेश है।
मुलुंड के एमटी अग्रवास अस्पताल, बोरीवली के भगवती अस्पताल, गोवंडी के शताब्दी अस्पताल को अक्टूबर २०२३ और विक्रोली के पार्क साईट स्थित ३० बेड के अस्पताल को बनाने के लिए नवंबर २०२३, जबकि बांद्रा के भाभा अस्पताल के पुनर्विकास के काम को पूरा करने के लिए मार्च २०२४ का डेडलाइन दिया गया था।
इन अस्पतालों में बढ़ेंगे बेड
मुलुंड के एमटी अग्रवाल अस्पताल में ४७० बेड, गोवंडी के शताब्दी अस्पताल में ५८० बेड, भगवती अस्पताल में ४९० बेड, भाभा अस्पताल में ४९७, सिद्धार्थ अस्पताल में ३०६, चांदिवली के नए आम अस्पताल में २५० बेड, भारत रत्न बाबासाहेब आंबेडकर अस्पताल में ३२५, भांडुप मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल में ३६०, राजावाड़ी अस्पताल में १,०५० और विक्रोली स्थित क्रांतिवीर महात्मा ज्योतिबा फुले अस्पताल में ५०० बेड समेत बढ़कर कुल ४,३८० बेड हो जाएंगे।