सामना संवाददाता / मुंबई
केंद्र सरकार के ऊर्जा आयोग और राज्य ऊर्जा नियामक आयोगों के बीच कोई समन्वय नहीं है। राकांपा (शरदचंद्र पवार) अध्यक्ष शरद पवार ने ऊर्जा आयोगों की आलोचना करते हुए कहा कि ये आयोग सामाजिक और आर्थिक निहितार्थों को नहीं समझते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय जैव मिशन में चीनी मिलों की बायोगैस आधारित सह-उत्पादन परियोजनाओं के लिए पर्याप्त स्थान की कमी पर भी नाराजगी व्यक्त की।
शरद पवार भारतीय सह-उत्पादन संघ द्वारा आयोजित पुरस्कार समारोह में बोल रहे थे, जो चीनी मिलों के माध्यम से बिजली पैदा करता है। देश में सह-उत्पादन परियोजनाओं, सर्वोत्तम प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों एवं सहकर्मियों तथा निजी क्षेत्र की परियोजनाओं को कुल ३३ पुरस्कार वितरित किए गए। पवार के साथ राज्य के सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटील और राष्ट्रीय सहकारी शक्कर कारखाना संघ के अध्यक्ष हर्षवर्धन पाटील भी उपस्थित थे। देश में अब कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) नामक एक नया क्षेत्र उभरा है। इस तकनीक से भारतीय कृषि क्षेत्र की उपयोगिता बढ़ेगी। बारामती के कृषि विकास ट्रस्ट ने इस क्षेत्र में अपना नाम बनाया है। पवार ने यह भी कहा कि ट्रस्ट ने यह साबित कर दिया है कि किसानों की मदद से क्रियान्वित की गई परियोजनाओं से गन्ने की खेती की लागत कम हुई है और उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। सहकारिता मंत्री बाबासाहेब पाटील ने कहा कि जहां एक ओर चीनी मिलों का गन्ना अधिशेष बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर गन्ने की घटती उपलब्धता एक संकट है इसलिए कृत्रिम गर्भाधान के माध्यम से गन्ने की उत्पादकता बढ़ाई जानी चाहिए। यदि चीनी मिलों का पेराई सत्र १५० से १६० दिनों तक चलता है तो उद्योग इसे वहन कर सकता है। हालांकि, इस साल यह सीजन ९० से १०० दिनों के बाद समाप्त हो गया है और सवाल यह है कि बाकी महीनों के लिए कारखानों का खर्च वैâसे पूरा किया जाए।