सामना संवाददाता / ठाणे
‘दाढ़ी बढाने से कोई दिघे साहब नहीं बन जाता’, दिघे साहेब का व्यक्तित्व एक आखिरी व्यक्तित्व था। उनकी डुप्लीकेटगीरी करने से कोई दिघे साहेब नहीं बन सकता। उनके जैसा बनने के लिए उनके जैसा काम करना पड़ता है, ऐसी आलोचना शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद राजन विचारे ने की। सांसद राजन विचारे ने एक इंटरव्यू का कुछ हिस्सा अपने इंस्टाग्राम पर प्रसारित किया है। उन्होंने उस इंटरव्यू में ऐसी आलोचना की है।
शिवसेना और ठाणे शहर का समीकरण बेहद अलग है। दिवंगत शिवसेना नेता आनंद दिघे ने कई जमीनी स्तर के शिवसैनिकों को तैयार किया। इनमें मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और सांसद राजन विचारे भी शामिल हैं। ये दोनों ठाणे में आनंद दिघे के शिष्य माने जाते हैं। आनंद दिघे के निधन के कुछ साल बाद ठाणे में शिवसेना के सूत्र एकनाथ शिंदे को मिला, लेकिन एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे का साथ छोड़ दिया है, जबकि सांसद राजन विचारे अभी भी उद्धव ठाकरे के साथ हैं। राजन विचारे को एक बार फिर से उद्धव ठाकरे ने ठाणे लोकसभा चुनाव लड़ने का मौका दिया है। दूसरी ओर महायुति का ठाणे लोकसभा क्षेत्र का उम्मीदवार अब तक तय नहीं हो पाया है, वहीं राजन विचारे ने ठाणे, नई मुंबई और मीरा-भायंदर में नागरिकों के साथ बैठकें शुरू कर दी हैं। इसमें सोशल मीडिया का इस्तेमाल भी शुरू हो गया है।
कुछ महीने पहले शिवसेना के नेता आदेश बांदेकर ने सांसद राजन विचारे का इंटरव्यू लिया था। इस इंटरव्यू में आदेश बांदेकर ने एक सवाल पूछा था। कुछ लोग कहते हैं कि आप दिघे साहेब के सच्चे अनुयायी हैं, सही स्थिति क्या है? इसके जवाब में राजन विचारे ने कहा कि अगर आप दाढ़ी बढ़ा लेंगे तो आप दिघे साहेब नहीं बन सकते। दिघे साहब का व्यक्तित्व एक बार होनेवाला व्यक्तित्व हैं। ऐसे व्यक्तित्व को दोहराया नहीं जा सकता। दाढ़ी बढ़ाने, चेहरे बदलने और नकल करने से कोई दिघे साहेब या हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब नहीं बन सकता।