– ३१ जनवरी तक लगी थी रोक
सामना संवाददाता / मुंबई
बीते कुछ महीनों से विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा जमकर आयोजित किए गए ब्लड डोनेशन कैंप से मुंबई समेत पूरे महाराष्ट्र में अब खून ही खून यानी पर्याप्त मात्रा में ब्लड यूनिट का भंडारण हो चुका है। ऐसे में खून की भारी कमी को देखते हुए स्टेट ब्लड ट्रांस्फ्यूजन काउंसिल द्वारा दूसरे राज्यों में ३१ जनवरी तक खून की आपूर्ति पर लगाए गए प्रतिबंध को हटा दिया गया है। हालांकि, काउंसिल ने ब्लड बैंकों को यह भी सलाह दी है कि वे प्रतिबंध हटाने और रक्त भंडार को अन्य राज्यों में स्थानांतरित करने से पहले यह सुनिश्चित करें कि आसपास के क्षेत्रों और जिलों में पर्याप्त खून उपलब्ध है।
उल्लेखनीय है कि दिवाली की छुट्टियों और उसके बाद विधानसभा चुनावों के कारण राज्य में आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों की संख्या में कमी आई थी। परिणामस्वरूप, नवंबर में राज्य में मरीजों के लिए केवल चार से पांच दिन चलने लायक ही खून बचा था। मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा ब्लड बैंकों से खून न मिलने के संबंध में स्टेट ट्रांस्फ्यूजन काउंसिल के पास कई शिकायतें की गई थीं। इस बीच, यह पता था चला कि राज्य के कुछ ब्लड बैंक अपने अतिरिक्त रक्त और रक्त घटकों को बड़ी मात्रा में मध्य प्रदेश, गुजरात और उत्तर प्रदेश राज्यों को बेच रहे थे। राज्य में खून की आवश्यकता को पूरा करने के लिए काउंसिल ने ३१ जनवरी, २०२५ तक दूसरे राज्यों में रक्त और रक्त घटकों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। खून की बर्बादी को रोकने का लिया गया फैसला
दिवाली के बाद राज्य में बड़े पैमाने पर रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया इसलिए दिसंबर के अंत तक राज्य के ब्लड बैंकों में पर्याप्त रक्त का स्टॉक उपलब्ध हो गया। इसके बाद खून की बर्बादी को रोकने के लिए राज्य के ब्लड बैंकों ने काउंसिल से अंतरराज्यीय खून की आपूर्ति देने की अनुमति देने का अनुरोध किया था। साथ ही ब्लड बैंकों ने उपलब्ध अतिरिक्त रक्त और रक्त घटकों का विवरण प्रस्तुत किया था। इसके बाद यह फैसला लिया गया।