अब तक केवल मध्यस्थ ही ले चुका है ३० से ३५ लाख
सामना संवाददाता / मुंबई
यमन की जेल में बंद केरल की नर्स निमिषा प्रिया को मिली सजा-ए-मौत के मामले में वहां के राष्ट्रपति ने मंजूरी दे दी है। असल में यमन कोर्ट ने केरल की महिला नर्स निमिषा को एक हत्या का दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर अब राष्ट्रपति ने मुहर लगा दी है। ऐसे में निमिषा के परिजनों ने भारत के विदेश मंत्रालय से गुहार लगाई है। अब एक महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई है, जिसके अनुसार, निमिषा की जान ब्लड मनी के जरिए ही बच सकती है।
पीड़ित परिवार से नहीं हुई
प्रिया के परिजनों की बात
यमन में मौत की सजा पाई नर्स निमिषा प्रिया के परिजनों का कहना है कि उनकी मृतक के परिवार से अभी तक कोई सीधी बात नहीं हो पाई है। निमिषा के परिजनों ने फिलहाल भारत सरकार से अनुरोध किया है कि वह इस मामले में दखल दे। जानकारों का कहना है कि यमन में शरिया कानून है। इसके मुताबिक, अगर पीड़ित परिवार माफ कर देता है या ब्लड मनी ले लेता है तो निमिषा मौत की सजा से बच सकती है। ब्लड मनी का अर्थ है कि जिस व्यक्ति की हत्या हुई है उसका परिवार कुछ रुपए लेकर आरोपी को माफ कर देता है।
दे चुके हैं ३८ लाख
निमिषा के परिवार ने दावा किया है कि यमन में जो टीम मध्यस्थता चला रही है, उसे जुलाई महीने में १९ लाख रुपए और दिसंबर महीने में १० लाख रुपए और दिए गए। इस तरह दूतावास के जरिए यमनी वकील को ३८ लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए गए।
२०१७ में किया था कांड
केरल के पलक्कड की रहनेवाली नर्स निमिषा २०१७ से यमन की जेल में बंद है। उस पर आरोप है कि नर्स ने सन् २०१७ में यमन के नागरिक तलाल अब्दो महदी को दवा का ओवरडोज देकर मार डाला था। इस मामले में साल २०२० में नर्स निमिषा को मौत की सजा सुनाई गई थी।