सामना संवाददाता / मुंबई
लंबे इंतजार के बाद महायुति सरकार में मंत्रियों के शपथ ग्रहण के बाद विभागों का बंटवारा तो हो गया है। बंटवारे के साथ ही कार्यालय और बंगले भी आवंटित कर दिए गए हैं। मगर इस सरकार में कुछ गड़बड़ नजर आ रहा है। सरकार के १८ मंत्री आउट ऑफ ऑर्डर नजर आ रहे हैं। यह साल अब खत्म होने को आ गया है, पर अभी तक ये मंत्री मंत्रालय में नजर ही नहीं आए हैं। हालांकि, सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भले ही इन १८ मंत्रियों ने पदभार नहीं संभाला है, पर इस बात की पूरी संभावना है कि ये सभी नए साल में अपना पदभार स्वीकार कर लेंगे।
नाराजगी खत्म हुई तो ही पद संभालेंगे मंत्री!
फडणवीस सरकार के मंत्रियों ने भले ही नागपुर के अधिवेशन में शपथ ले ली हो, पर अभी तक १८ मंत्रियों ने अपना पदभार नहीं संभाला है। बताया जाता है कि इनमें से कई मंत्री मन मुताबिक मंत्रालय नहीं मिलने से नाराज हैं। उनकी नाराजगी दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। मगर उनका गुस्सा है कि मान ही नहीं रहा है। राजनीतिक गलियारों में इस बात की चर्चा है कि नाराजगी खत्म होने पर ही वे अपना पदभार संभालेंगे।
बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद सात दिनों के राष्ट्रीय शोक की घोषणा की गई है। २०२४ में अब सिर्फ दो दिन बचे हैं। ऐसे में ईडी सरकार के १८ मंत्रियों के पदभार संभालने की संभावना कम है। इन मंत्रियों में से दत्ता भरणे का परिवार विदेश गया हुआ है। बताया गया है कि पदभार न स्वीकारने वाले मंत्रियों में आशीष शेलार, अतुल सावे, नरहरी झिरवल, भरत गोगावले, गुलाबराव पाटील, दादा भूसे, जयकुमार रावल, माणिकराव कोकाटे, मकरंद पाटील, योगेश कदम, पंकज भोयर, बाबासाहेब पाटील, दत्तात्रय भरणे, प्रकाश आबिटकर, माधुरी मिसाल, आशीष जायसवाल, मेघना बोर्डीकर का समावेश है।
तीनों दलों में चल रहा विवाद
चुनाव नतीजों के बाद शुरू में मुख्यमंत्री पद को लेकर लंबे समय तक सस्पेंस का दौर चला। इसके बाद खबरें आर्इं कि एकनाथ शिंदे नाराज हैं। इसके बाद वैâबिनेट विस्तार के बाद जहां मंत्रियों के विभागों का बंटवारा हो गया है, वहीं अब पालकमंत्री पद को लेकर महायुति के तीनों दलों में खींचतान चल रही है। महाराष्ट्र चुनाव में मिली जीत के बाद भी वैâबिनेट विस्तार में १६ दिन लग गए। इस वैâबिनेट विस्तार में तीनों दलों को सतर्क रुख अपनाना पड़ा। इस बीच दादा और घाती गुट ने भी नाराजगी जाहिर की। हालांकि, अब मुंबई शहर, उपगनरों, सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, रायगड, संभाजीनगर, बीड, नासिक, ठाणे, कोल्हापुर के पालक मंत्री पद को लेकर तीनों पार्टियों के बीच विवाद शुरू हो गया है।