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महाराष्ट्र के हित के लिए राज-उद्धव ठाकरे की एक साथ आने पर सहमति

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र, मराठी भाषा और मराठी लोगों के लिए अब सभी को एक साथ आकर काम करना जरूरी है। ऐसा स्पष्ट रुख कल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने व्यक्त किया। मराठी भाषा और महाराष्ट्र के हित के लिए राज ठाकरे के साथ पुराने झगड़े और मतभेदों को एक किनारे रखकर एकजुट होकर काम करने का संकेत देते ही देश की राजनीति में हलचल मच गई।
उन्होंने साफ कहा कि असल में हमारे बीच कोई झगड़े थे ही नहीं, लेकिन अगर कुछ विवाद रहे भी हों, तो चलिए, अभी से ही उन्हें खत्म कर देते हैं। शिवसेनापक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे की प्रमुख उपस्थिति में भारतीय कामगार सेना की ५७वीं वार्षिक आमसभा शिवाजी मंदिर में संपन्न हुई। इस मौके पर भाषण देते हुए उद्धव ठाकरे ने पहली कक्षा से हिंदी भाषा की अनिवार्यता, महाराष्ट्र और मराठी भाषा के हित तथा श्रमिक विरोधी काले कानूनों पर अपनी स्पष्ट और सख्त भूमिका रखी।
बता दें कि हाल ही में महेश मांजरेकर ने ‘मनसे’ अध्यक्ष राज ठाकरे का इंटरव्यू लिया, जिसमें उन्होंने सवाल किया कि क्या ठाकरे बंधु फिर एक साथ आ सकते हैं? इस पर राज ठाकरे ने कहा था कि महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए पुराने छोटे-मोटे विवादों को भुलाकर एक साथ आने में उन्हें कोई दिक्कत नहीं है। इस पर उद्धव ठाकरे ने भी एक साथ आने को लेकर सकारात्मक प्रतिसाद दिया है।

महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए हमारे बीच जो मतभेद और झगड़े हैं, वे बहुत ही तुच्छ और छोटे हैं इसलिए एक साथ आना और साथ रहना मुझे कोई मुश्किल काम नहीं लगता। मुद्दा सिर्फ इच्छाशक्ति का है, क्योंकि यह केवल मेरी एकतरफा इच्छा का मामला नहीं है। मुझे लगता है अब ‘बड़ी तस्वीर’ देखने का वक्त है। महाराष्ट्र के सभी राजनीतिक लोगों को एक साथ आकर एक ही पार्टी बनानी चाहिए, ऐसा राज ठाकरे ने कहा।

छोटे-मोटे झगड़े किनारे रखने के लिए मैं भी तैयार हूं। महाराष्ट्र के हित के लिए सभी लोगों को एक साथ आना चाहिए। लोकसभा चुनाव के समय मैंने बार-बार कहा कि सभी उद्योग गुजरात ले जाए जा रहे हैं, फिर भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। अगर उसी समय उन्होंने भाजपा का विरोध किया होता तो आज केंद्र और राज्य में महाराष्ट्रहित में सरकार बन सकती थी। उस समय उनका समर्थन करना, अब विरोध करना और फिर समझौता करना, ये तरीका स्वीकार नहीं है। जो भी महाराष्ट्र के हित के आड़े आएगा, उसका मैं स्वागत नहीं करूंगा।

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