आम जनता पूछ रही सवाल; मोदी-योगी, क्या यही है पक्की नौकरी की गारंटी?
सामना संवाददाता / लखनऊ
उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी की दर निरंतर बढ़ रही है। इसके खिलाफ यूपी में चल रहा छात्रों का यह संघर्ष पूरी तरह से उचित और लोकतांत्रिक है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि योगी सरकार ने इस आंदोलन को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया है। पुलिस द्वारा लाठियां बरसाना, छात्रों के शांतिपूर्ण विरोध को कुचलने का प्रयास करना, यह लोकतंत्र की हत्या है। यूपी लोक सेवा आयोग के खिलाफ प्रतियोगी छात्रों का आंदोलन बुधवार को भी तीसरे दिन भी जारी रहा। छात्रों ने आंदोलन के दूसरे दिन मंगलवार को हजारों की संख्या में अभ्यर्थी आयोग के दफ्तर के बाहर सड़कों पर डटे रहे। छात्रों ने मांग पूरी हुए बिना आंदोलन को वापस लेने से मना कर दिया। छात्रों के साथ योगी सरकार के इस रवैये पर अब आम जनता भी सवाल उठा रही है और देश के पीएम नरेंद्र मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ से सवाल कर रही है कि क्या यही उनकी पक्की नौकरी की गारंटी है?
छात्रों के इस प्रदर्शन पर विपक्ष ने भी भाजपा और योगी सरकार पर जोरदार हमला किया है। आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी संजय सिंह ने कहा, `आम आदमी पार्टी इस आंदोलन में युवाओं के साथ खड़ी है। हम अहंकारी भाजपा सरकार और आयोग से अपील करते हैं कि वह छात्रों की जायज मांगों को सुनें। छात्रों को लाठी और दमन के जरिए नहीं, बल्कि बातचीत और समझदारी से समाधान मिलना चाहिए।
नौकरी मांगोगे तो पिटोगे
आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी और राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने कहा कि प्रयागराज में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले हजारों युवा पुलिस की बर्बरता का सामना कर रहे हैं। ये युवा केवल एक अधिकार की मांग कर रहे हैं, पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षा को एक ही दिन में कराने का। इन छात्रों का विरोध न केवल उनकी मेहनत और आत्मसम्मान की रक्षा के लिए है, बल्कि यह इस बात को लेकर भी है कि परीक्षा में किसी तरह की गड़बड़ी या भेदभाव न हो। आप सांसद ने कहा कि मोदी, योगी, अमित शाह और उनके अंधभक्तों से एक सवाल है, इस संघर्ष में क्या फर्क है?