सामना संवाददाता / मुंबई
लोगों ने आपको आपस में झगड़ने के लिए नहीं चुना है। नागरिकों के जीवन में अच्छे बदलाव के लिए चुना है। मुझे वास्तव में इस मुद्दे पर उबन महसूस होने लगी है। कौन किसका पालक मंत्री, कौन-सा विभाग, रूठना-मनाना, प्लीज यह घर का स्टोर नहीं है। यह देश और राज्य की सेवा है, इसे गंभीरता से लें। यह कहते हुए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) की सांसद सुप्रिया सुले ने तंज कसा कि पालक मंत्रियों की नियुक्ति रातों-रात स्थगित कर दी जाती है। उप मुख्यमंत्री, मंत्रियों में रूठने-मनाने का सिलसिला चल रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य ही नहीं, देश में पहली बार ऐसी सरकार देख रही हूं। सांसद सुले ने कहा कि सरकार आए दो महीने हो गए। मैं इन सब चीजों से थक गई हूं। इस सरकार ने दो महीने में क्या रणनीतिक पैâसले लिए? हार्वेस्टर जांच का क्या हुआ? किसानों के फसल बीमा का क्या हुआ? अपनी लाडली बहनों को ढाई या तीन हजार रुपए कब देंगे? महंगाई पर काबू पाने के लिए क्या किया जाएगा। आने वाले बजट में क्या किया जाएगा? सरकार सरपट चल रही है, तो हमारी सड़कें सरपट क्यों नहीं हैं? ठेकेदारों को समय पर भुगतान क्यों नहीं किया जा रहा है? हमारे सारे काम देरी से क्यों हो रहे हैं? लागत में वृद्धि क्यों हो रही है? गडकरी साहब कम लागत पर सड़कें बनाते हैं तो फिर महाराष्ट्र सरकार की सड़कें कम लागत पर क्यों नहीं बनतीं? इस तरह एक के बाद एक सवाल उठाकर सुप्रिया सुले ने महायुति सरकार की बखियां उधेड़ दीं।
सरकार को देना चाहिए जवाब
सुले ने कहा कि सरकार में खेल मंत्रालय ने ६०० से ७०० करोड़ का कॉन्ट्रैक्ट रद्द कर दिया। इस संबंध में मैं मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगी। सुले ने कहा कि पहले और अब की सरकार में यह विरोधाभास क्यों है? आप पिछली सरकार में भी थे। अब आप मुख्यमंत्री हैं। आपके मंत्री कहते हैं कि खेल मंत्रालय में छह सौ से सात सौ करोड़ रुपए का गलत तरीके से टेंडरिंग हुआ है। क्या यह गंभीर विषय नहीं है? ऐसे कई टेंडर हैं, जिन्हें सरकार ने रद्द कर दिया है। इन सभी बातों का जवाब सरकार को देना चाहिए। सुले ने कहा कि वे गुमराह करने के लिए ये सब करते रहते हैं। यह सरकार एंटायटलमेंट में है, अब धीरे-धीरे ऐसा लगने लगा है।