सामना संवाददाता / नई दिल्ली
एनडीए गठबंधन को मिले बहुमत के बाद केंद्र में सरकार बनाने का भाजपा ने प्रस्ताव दिया है। राष्ट्रपति ने उनके प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए भाजपा को सरकार बनाने के लिए न्योता दिया है। ऐसे में एक तरफ भाजपा भले ही खुश हो सकती है, लेकिन दूसरी तरफ उसका आत्मविश्वास भी डगमगा रहा है। यह सरकार औंधे मुंह कब गिर जाएगी। इसका अंदाजा खुद भाजपा को भी नहीं है। यह सरकार अब जेडीयू और टीडीपी के सहारे खड़ी होने का प्रयास कर रही है। वास्तव में अब भाजपा इन दोनों बैसाखियों पर खड़ी होने जा रही है। इसका दर्द भी नरेंद्र मोदी को एनडीए के संसदीय दल की बैठक में छलका। उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था कि बैसाखी से डगर कितनी दूर तक तय होगी।
बाता दें कि चुनाव बाद में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में तीसरी बार सरकार बनने जा रही है। नरेंद्र मोदी ९ जून को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे। पहले दो कार्यकाल में भाजपा के पास अकेले पूर्ण बहुमत था, इसलिए २०१४ और २०१९ में एनडीए का अस्तित्व नाम मात्र का था। लेकिन अब भाजपा के पास २४० सीटें हैं और जेडीयू और टीडीपी किंगमेकर बन गए हैं। ऐसे में अब मोदी के लिए जरूरी हो गया है कि वे सहयोगी दलों को अपने साथ रखें और उन्हें नाराज न करें इसका भी ख्याल रखें। सहयोगी दलों की नाराजगी के डर की तलवार हमेशा उनके सिर पर लटकती रहेगी। यही डर उन्होंने कल के संसदीय दल के भाषण में भी मोदी के चेहरे पर साफ दिखा। कल उन्होंने बैठक में जिस नरम अंदाज में बात किया शायद ही पिछले १० वर्षों में कभी इतनी लगाव अपने सहयोगी दलों के प्रति दर्शाया हो। यह मोदी के चेहरे पर डर झलक रहा था।
उधर, राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि इस बार नरेंद्र मोदी की सरकार बैसाखी के सहारे खड़ी है। इंडिया गठबंधन बढ़ा है। एनडीए घटा है। खुद प्रधानमंत्री का वोट अप्रत्याशित ढंग से नीचे आया है। २०१९ के चुनाव में मोदी जी ने अपने क्षेत्र वाराणसी से लगभग ४ लाख ८० हजार मतों से जीत हासिल की थी। इस चुनाव में महज एक लाख ५२ हजार वोट से जीत पाए। गिनती के शुरुआती दौर में वे कुछ घंटे तक पीछे भी रहे। जबकि उस क्षेत्र की सभी सीटों पर भाजपा के ही विधायक हैं। मेयर भी उन्हीं का है। लखनऊ में बुलडोजर बाबा हैं ही। इन सबके बावजूद प्रधानमंत्री के मतों में इतनी भारी गिरावट क्या दर्शाता है? उन्होंने कहा कि सबसे चकित करने वाली बात यह है कि अयोध्या में दो बार के भाजपा सांसद लल्लू सिंह भी चुनाव हार गए। जबकि अयोध्या में प्रधानमंत्री के रोड शो में वे उनके बगल में ही खड़े होकर हाथ हिला रहे थे। शायद रामजी को भी मालूम हो चुका है कि इनकी भक्ति दिखावा भर है। इनकी असली भक्ति तो वोट में है। इसलिए अयोध्या में इनको हराकर वहां से एक दलित प्रत्याशी को जीत दिला कर राम जी ने जता दिया कि वे किसके साथ हैं।
चिल्लर पार्टियों की हाई डिमांड
एनडीए के तरफ से सरकार गठन की तैयारी शुरू है। नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा सौंप दिया है, लेकिन एनडीए के चिल्लर पार्टियां नरेंद्र मोदी के लिए सिरदर्द साबित होनेवाले हैं। एनडीए में सिंगल सीट वाले भी हाई डिमांड रखे हुए हैं। लोकसभा चुनाव का परिणाम आते ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार बनाने की कवायद में जुटी है तो वहीं सहयोगी दलों की डिमांड लिस्ट भी सामने आने लगी है। सरकार गठन के लिए अहम ‘एन’ पैâक्टर के दोनों ‘एन’ यानी चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार की अपनी शर्तें हैं तो बाकी घटक दलों की भी अपनी-अपनी डिमांड। चंद्रबाबू नायडू की पार्टी ने लोकसभा स्पीकर के साथ सरकार में अहम मंत्रालयों पर दावा ठोकने के साथ ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग उठा दी है, वहीं नीतीश कुमार की अगुवाई वाली जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) ने भी यूसीसी पर चर्चा, अग्निवीर योजना पर पुनर्विचार की शर्त रख दी है। जीरो सीट वाली रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) के प्रमुख रामदास आठवले ने भी एक मंत्री पद की डिमांड कर दी है।