सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में दूध की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और मिलावट रोकने के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने १५ जनवरी को एक विशेष सर्वेक्षण अभियान चलाया। इस अभियान के तहत दूध में मिलावट करने वालों पर गाज गिरेगी यानी उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। राज्य के विभिन्न हिस्सों से दूध के १,०६२ नमूने एकत्र किए गए। इनमें प्रतिष्ठित कंपनियों के पैकेज्ड दूध के ६८० नमूने और थोक दूध के ३८२ नमूने शामिल हैं।
दूध को स्वास्थ्य के लिए बेहद अहम माना जाता है, लेकिन बढ़ती मिलावट की समस्या ने चिंता बढ़ा दी है। इसे रोकने और राज्यवासियों को शुद्ध दूध उपलब्ध कराने के उद्देश्य से खाद्य एवं औषधि प्रशासन आयुक्त राजेश नार्वेकर के मार्गदर्शन में यह व्यापक अभियान आयोजित किया गया। राज्यभर में १०३ खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को तैनात किया गया। १५ जनवरी को सुबह ५ बजे से इन अधिकारियों ने दूध उत्पादकों, वितरकों, विक्रेताओं और सड़क किनारे दूध बेचने वालों से नमूने इकट्ठा किए। नमूनों को खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकृत प्रयोगशाला में भेजा गया है, जहां उनकी जांच मिलावट, रासायनिक संरचना और गुणवत्ता के आधार पर की जाएगी। यदि किसी नमूने में मिलावट पाई जाती है, तो संबंधित निर्माता और आपूर्तिकर्ता के खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि मिलावट करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।
नागरिकों से सहयोग की अपील
आयुक्त राजेश नार्वेकर ने अपील की है कि यदि किसी नागरिक को दूध या अन्य खाद्य पदार्थों में मिलावट का संदेह हो, तो वे तुरंत हेल्पलाइन नंबर १८००२२२३६५ पर संपर्क करें या रम्-fदद्प्qॅुदन्.ग्ह पर ईमेल करें। इसके अलावा, शिकायतें प्ूूज्े://fदेम्दे.fेaग्.ुदन्.ग्ह/ पोर्टल पर भी दर्ज कराई जा सकती हैं।