सामना संवाददाता / मुंबई
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता व सांसद संजय राऊत ने तंज कसते हुए कहा कि हमारे देश में जिनके हाथ में ईवीएम है उनका लोकतंत्र जैसा समीकरण हो गया है। पुणे, पिंपरी-चिंचवड़ मनपा चुनाव की पृष्ठभूमि में कार्यकर्ताओं की भावनाएं जानने के लिए संजय राऊत की मौजूदगी में बैठकें हो रही हैं। इस मौके पर उन्होंने विभिन्न विषयों पर अपने विचार व्यक्त किए।
संजय राऊत ने कहा कि विधानसभा के नतीजे पर चिंतन-मंथन करने की बजाय आगे बढ़ना चाहिए। हम वर्षों से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन पिछले १० साल से जिस तरह से चुनाव लड़े जा रहे हैं, वैसा ७० साल में नहीं देखा गया। इसके बावजूद हमें महाराष्ट्र और देश में लाखों की संख्या में वोट मिले।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने हमें वोट दिया, उन्हें भी यह संशय है कि हमें वोट मिला या नहीं। संजय राऊत ने कहा कि इसीलिए बैलट पेपर पर वोटिंग की मांग हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि न केवल ऐसा माहौल था कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में हमारी सत्ता आएगी, बल्कि तीनों पार्टियों को ऐसा भरोसा भी था। हालांकि, नई सरकार आने के बाद से महाराष्ट्र में जो तस्वीरें हैं, उसे हम देख रहे हैं। सरकार तो बन गई, लेकिन वैâबिनेट का गठन नहीं हुआ। यदि मंत्रिमंडल शपथ लेता है तो विभाग की घोषणा नहीं होती है। प्रचंड बहुमत होने पर भी आपको कौन रोक रहा है?
हमें मुंबई पर हासिल करनी है सत्ता
खुद के दम पर लड़ने के सवाल का जवाब देते हुए संजय राऊत ने कहा कि मुंबई मनपा प्रमुख मुद्दा होता है। शिवसेना यहां एक महत्वपूर्ण पैâक्टर है और इतनी कठिन परिस्थिति में भी हमने १० सीटें जीतीं, जबकि ४ सीटें हम बहुत कम वोटों से हार गए। हमें मुंबई मनपा पर सत्ता हासिल करनी है, नहीं तो मुंबई अलग हो जाएगी। कार्यकर्ताओं की खुद की ताकत होती है। मुंबई में शिवसेना की निर्विवाद ताकत है। उन्होंने यह भी कहा कि हम स्वबल की मांग पर चर्चा करेंगे।
तो मुंबई के कर देंगे टुकड़े
संजय राऊत ने कहा कि अगर हमें विधानसभा चुनाव में मुंबई में कुछ और सीटें मिलतीं तो हम उन्हें जीत जाते, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। हमें मुंबई में लड़ना पड़ेगा। प्रमुख नेताओं और कार्यकर्ताओं की अपने दम पर लड़ने की मानसिकता है, लेकिन हम चर्चा करेंगे। जब हम भाजपा के साथ थे, तब भी हमने स्वतंत्र रूप से मनपा के लिए लड़ाई लड़ी थी। महाराष्ट्र और देश के मानचित्र पर मुंबई का महत्व बहुत अलग है। संजय राऊत ने यह भी कहा कि अगर यहां शिवसेना की ताकत नहीं होगी तो वे मुंबई को टुकड़े कर देंगे।
संजय राऊत ने कहा कि जब वे भाजपा के साथ युति में थे, तब भी कार्यकर्ताओं की मांग थी कि स्थानीय निकायों को अपने दम पर लड़ना चाहिए, क्योंकि स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं में इच्छुकों की संख्या अधिक होती है। लोकसभा में कम होती हैं, विधानसभा में बढ़ जाती हैं। लोकसभा चुनाव से ज्यादा उत्साह विधानसभा में देखने को मिला। ऐसा तब होता है, जब किसी चुनाव में दो या तीन पार्टियां आगे चल रही हों।