उमेश गुप्ता / वाराणसी
थाने की पुलिस और एसओजी ने एटीएम कार्ड बदलकर धोखाधड़ी से पैसा ऐंठने वाले अंतरराज्यी य गिरोह के तीन बदमाशों को सेंट्रल जेल रोड से गिरफ्तार किया है।
घटना का राजफाश एडीसीपी वरुणा/क्राइम टी. सवरणन ने पत्रकारवार्ता में किया। गिरफ्तार आरोपी चार पहिया वाहन से घूम-घूमकर घटना को अंजाम देते थे। वे बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली एनसीआर के आसपास एटीएम को अपना निशाना बनाते थे। तीनों आरोपी बिहार के रहने वाले हैं और शिवपुर क्षेत्र में एक महिला को अपना शिकार बना रहे थे। उसी दौरान टीम ने आरोपियों को गिरफ्त में ले लिया। एडीसीपी ने एसओजी टीम को 15 हजार और कैंट पुलिस को 5 हजार रुपए का इनाम देने की घोषणा की।
एडीसीपी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि गिरफ्तार आरोपियों में बाना खिजरसराय जनपद गया (बिहार) निवासी सुजीत कुमार, रोसना, गया फतेहपुर (बिहार) निवासी गुलशन कुमार और मतासो, एकमला फतेहपुर गया (बिहार) निवासी अभिषेक कुमार हैं। इनके पास से 13 अलग-अलग बैंकों के एटीएम कार्ड, 4 फेवीक्विक, एक फोन-पे बिजनेस एटीएम स्वाईप मशीन, घटना में प्रयुक्त 4 मोबाईल फोन, कुछ नकद और चार पहिया एक वाहन बरामद हुआ है।
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने पुलिस को बताया कि उनका एटीएम धोखाधड़ी का एक गिरोह है, जो मिलकर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा आदि राज्यों में विभिन्न शहरों मे चार पहिया वाहन से बैंकों की एटीएम पर साथ मिलकर घटना करते हैं। हमारी टीम का एक व्यक्ति एटीएम के बाहर खड़ा रहता है तथा दो व्यक्ति अंदर रहते हैं। समयानुसार अगर कोई ग्राहक एटीएम के बारे में कम जानकारी रहती है तो उसको हम सहयोग का बहाना बनाकर धोखाधड़ी से एटीएम कार्ड बदल लेते हैं। जब हम लोग एटीएम कार्ड बदलकर धोखाधड़ी नहीं कर पाते हैं तो सभी लोग किसी ग्राहक के पैसे निकालने से पहले हम लोगों में से कोई न कोई उसके आगे खड़ा रहता है तथा ग्राहक को बातों में उलझाकर एटीएम मशीन में कार्ड लगाने वाले स्थान पर कार्ड की मदद से फेवीक्विक लगा देता है, जब ग्राहक एटीएम मशीन में अपना कार्ड लगाता है और सारी प्रक्रिया पूरी करता है तो पीछे खड़े आरोपी द्वारा पिन देख लिया जाता है उसके बाद आगे वाले व्यक्ति को परेशान करने की नीयत से कि हमें भी पैसा निकालना है, जल्दी करो जल्दी करो, ऐसी ही बातों मे उलझाकर जल्दी एटीएम कार्ड निकालने की बात बोला जाता है।
इससे वह ग्राहक एटीएम कार्ड निकालने का प्रयास करता है, किन्तु फेवीक्विक लगा होने के कारण एटीएम कार्ड नहीं निकलता है। सभी लोग गार्ड को बुलाने के लिए उस ग्राहक को एटीएम से बाहर भेज देते हैं, तभी मौका देखकर उस एटीएम मशीन में फंसे एटीएम कार्ड को पिलास की मदद से खींचकर बाहर निकाल लेते हैं और फिर उस एटीएम कार्ड को लेकर तुरंत किसी दूसरी एटीएम मशीन से कार्ड का प्रयोग कर पैसा निकाल लेते हैं।
आरोपियों से पूछने पर बताया कि वह लोग साथ मिलकर पिछले 3 वर्षों से अलग-2 राज्यों में एटीएम कार्डों की धोखाधडी करते हुए ऐशो-आराम की जिंदगी जीते हुए जीवन यापन कर रहे हैं। हम लोग चार पहिया कार से बनारस आये थे कि यहां भी लोगों से धोखाधड़ी कर एटीएम बदलकर रुपयों की चोरी कर लें उससे पहले पकड़े गए। बताया कि धोखाधड़ी से मिलने वाले पैसों को हम लोग आपस में बराबर बांटते हैं। उसी पैसे से हम लोग मौज-मस्ती की जिंदगी जीने तथा खाने-पीने मे खर्च करते है। एडीसीपी ने बताया कि पूछताछ में तीनों में बताया कि वह वाराणसी में घटना करने के लिए हाईवे के आसपास कही होटल लेकर ठहरते हैं। घटना के बाद फिर शहर छोड़ देते हैं। गिरफ्तार आरोपियों ने स्वीेकार किया कि बनारस में बीते जनवरी में कचहरी के पास एसबीआई बैंक के बाहर लगे एटीएम से भी इसी तरह एटीएम पर फेवीक्विक लगाकर एटीएम चुराकर रुपयों की चोरी किए हैं। तीन दिन पहले भी भोजूबीर चौराहे के पास से एक्सिस बैंक के एटीएम से एक लड़की से धोखे से एटीएम मशीन के अंदर फैवी क्विक से एटीएम चिपका कर ठगी किए थे।
आरोपियों की गिरफ्तारी में एसओजी प्रभारी दारोगा मनीष कुमार मिश्रा, दारोगा गौरव कुमार सिंह, कांस्टेबल अंकित मिश्रा, आलोक मौर्या, प्रेमशंकर पटेल, मनीष कुमार बघेल और हेड कांस्टेबल चालक उमेश सिंह शामिल रहे।