सामना संवाददाता / मुंबई
शहर की वायु गुणवत्ता में भारी गिरावट आने के पिछले साल के अनुभव को देखते हुए बीएमसी ने इस बार अभी से ही एहतियात बरतने की शुरुआत कर दी है, लेकिन आश्चर्य है कि प्रदूषण कंट्रोल करने के लिए कोई नई मशीनरी को पिछले एक साल में मनपा ईजाद नहीं कर पाई। एक साल बाद भी मनपा वही पुराने नियमावली को लागू करने पर मजबूर है, जबकि मनपा अधिकारियों को अच्छी तरह पता है कि पिछले वर्ष उनकी यह योजना सफल नहीं हो सकी थी। इस बार भी मनपा ठंडी के मौसम में होने वाले दम घुटने की समस्या से निपटने के लिए सिर्फ रियल एस्टेट डेवलपर्स को ही टारगेट करने का मन बनाया है। मनपा के अनुसार, शहर में प्रदूषण की असली वजह यही रियल एस्टेट डेवलपर्स ही हैं। इसलिए हाल ही में मनपा अधिकारियों के साथ डेवलपर्स की बैठक हुई। जहां उन्हें प्रदूषण कम करने के उद्देश्य से २७ दिशा-निर्देशों का पालन करने का सख्त निर्देश दिया। एक अधिकारी के अनुसार, पिछले वर्ष की तरह इस बार भी डेवलपर्स को २७ नियमों का पालन अनिवार्य होगा, अन्यथा उनकी साइट सीज करने का निर्देश हैं। इसके अतिरिक्त सभी २४ प्रशासनिक वॉर्डों में निर्माण स्थलों के दैनिक निरीक्षण के लिए विशेष दस्ते सक्रिय किए जाएंगे। बता दें कि एक साल बाद भी मनपा के पास प्रदूषण से निपटने के लिए कोई ठोस उपाय नहीं है। यही वजह है कि मनपा के अधिकारी पुरानी पॉलिसी पर निर्भर हैं और उसे ही इस वर्ष भी लागू करने पर जोर दे रहे हैं।
बीएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि पिछले वर्ष नियमित निरीक्षण और उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई ने रियल एस्टेट डेवलपर्स को एक कड़ा संदेश दिया है, जिससे कई लोगों ने प्रदूषण को रोकने के उपाय अपनाए थे। मानसून के दौरान वायु गुणवत्ता सूचकांक अच्छा था, लेकिन पिछले कुछ वर्षों के रुझानों से संकेत मिलता है कि अक्टूबर से जनवरी तक यह खराब हो जाता है।
बता दें कि मनपा ने पिछले साल मार्च में वरिष्ठ मनपा अधिकारियों की सात सदस्यीय समिति ने ‘मुंबई वायु प्रदूषण नियंत्रण योजना’ जारी का थीr। कुछ संशोधनों के बाद २५ अक्टूबर, २०२३ से निजी निर्माण स्थलों और अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए दिशा-निर्देश अनिवार्य हो गए। वॉर्ड स्तर पर लगभग ९६ दस्तों ने अपने क्षेत्रों का निरीक्षण किया और शमन उपायों का पालन करने में विफल रहने वाले निर्माण स्थलों को नोटिस जारी किए। दिशा-निर्देशों के अनुसार, निर्माण और बुनियादी ढांचे वाले स्थलों को अपनी परिधि के चारों ओर धातु की चादरें लगानी चाहिए, निर्माणाधीन सभी इमारतों को हरे कपड़े, जूट की चादरों या तिरपाल से ढंकना चाहिए और विध्वंस के दौरान पानी का लगातार छिड़काव सुनिश्चित करना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सीसीटीवी कैमरे लगाने की आवश्यकता है।