सामना संवाददाता / मुंबई
हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। एनडीए सरकार नीतिश कुमार की जेडीयू और चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी के समर्थन से बनीr। भाजपा को सबसे ज्यादा झटका दो राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में लगा। महाराष्ट्र में महाविकास आघाड़ी ने महायुति की धज्जियां उड़ा दीं। यहां महायुति केवल १७ सीटें ही जीत पाई। दिलचस्प बात यह है कि शिवसेना और राकांपा के अलग होने से भाजपा को कोई फायदा नहीं हुआ। इस चुनाव के बाद अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ ने भाजपा पर निशाना साधा है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आजीवन सदस्य रतन शारदा ने एक लेख लिखकर भाजपा को आड़े हाथों लिया है। ‘मोदी ३.०: कन्वर्सेशन फॉर कोर्स करेक्शन’ शीर्षक वाले लेख में कहा गया है कि लोकसभा चुनाव का परिणाम भाजपा के लिए वास्तविकता की जांच है। महाराष्ट्र में अजीत पवार को अपने साथ लेने की कीमत भाजपा को चुकानी पड़ी। महाराष्ट्र में भाजपा और शिंदे गुट के पास बहुमत होने के बावजूद अजीत पवार गुट को साथ लिया गया, इससे कांग्रेस की विचारधारा के खिलाफ लड़नेवाले भाजपा समर्थकों को झटका लगा।
मोदी का आरोप, दादा की गुलाटी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक सार्वजनिक सभा में अजीत पवार पर ७० हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले का आरोप लगाया था। हालांकि, इसके दो दिन के अंदर ही अजीत पवार गुलाटी मारते हुए राकांपा विधायकों समेत सीधे सत्ता में आ गए। भाजपा ने उन्हें अपनी वाशिंग मशीन में पवित्र कर उपमुख्यमंत्री का पद दे दिया। इस बीच महाराष्ट्र में भाजपा, शिंदे गुट व अजीत पवार गुट की महायुति ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन भाजपा को नौ सीटें, शिंदे गुट को सात सीटें और अजीत पवार गुट को सिर्फ एक सीट मिली। पिछले चुनाव में शिवसेना और भाजपा ने मिलकर ४१ सीटें जीती थीं। लेकिन जोड़-तोड़ की गंदी राजनीति, जांच एजेंसियों का दुरुपयोग, महंगाई, बेरोजगारी पर चुप्पी के कारण भाजपा को २०१९ की तुलना में २४ सीटों का नुकसान हुआ।