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सड़कों की दुर्दशा छिपाने के लिए टोल माफी का स्टंट! …‘ईडी सरकार की चालाकी पर बमके मुंबईकर

-वसूली केंद्र पर फैली है अव्यवस्था
-छोटे वाहनों के लिए अलग नहीं गेट
-हर द्वार पर लग रहा है जाम
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई शहर की सड़कें सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं। कई जगहों पर सड़कें टूट चुकी हैं और वहां बड़े-बड़े गड्ढे पड़ गए हैं। हाल ही में ‘ईडी’ सरकार ने इन सड़कों की दुर्दशा छिपाने के लिए टोल माफी का स्टंट किया है। ईडी सरकार की इस चालाकी पर मुंबईकर बमके हुए हैं। नाराजगी का प्रमुख कारण है कि टोल माफी के बावजूद टोल केंद्रों पर लंबा जाम लगा हुआ है। वहां अव्यवस्था पैâली हुई है। छोटे वाहनों के लिए अलग से व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे स्थिति जस की तस बनी हुई है।

₹२५० करोड़ गए पानी में
गड्ढे हैं कि भरते ही नहीं!
‘ईडी’ सरकार की नाकामी से मुंबईकर नाराज

मुंबई शहर की सड़कों का हाल काफी बुरा है। जगह-जगह बैरिकेड्स और गड्ढों ने वाहन चालकों को परेशान कर रखा है। इन गड्ढों को भरने के लिए मनपा २५० करोड़ रुपए खर्च करती है पर गड्ढे हैं कि भरते ही नहीं। वाहन चालक इस बात से नाराज हैं कि ‘ईडी’ सरकार ने सड़कें दुरुस्त करने में नाकाम रहने के बाद अब टोल माफी का चुनावी चुग्गा फेंका है, ताकि नाराज वोटरों को मनया जा सके।
बता दें कि २०१४ के विधानसभा चुनाव के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने लोगों से टोलमाफी का वादा किया था। अब सवाल है कि उन्हें अपना वादा पूरा करने में १० साल क्यों लग गए? मुंबईकरों का कहना है कि राज्य में चुनाव के एलान के एक दिन पहले हुई टोल माफी की घोषणा से कई सवाल उठ रहे हैं। मुंबई की बदहाल और खराब सड़कों से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास है टोल माफी। उल्लेखनीय है कि सड़कों के गड्ढे भरने के लिए हर साल मनपा करीब २५० करोड़ रुपए खर्च करती है, लेकिन करोड़ों रुपए खर्च और मनपा के तमाम दावों के बावजूद मुंबई की सड़कों के गड्ढे हैं कि भरते ही नहीं हैं। सड़क निर्माण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मुंबई की सड़कों पर गड्ढों की शिकायतें मनपा को मिल रही हैं और गढ्ढों के भरने का काम जारी है। उधर मनपा आयुक्त भूषण गगरानी ने आदेश दिया था कि सभी २५ वॉर्डों के सहायक आयुक्त, चीफ इंजिनियर सहित अन्य अधिकारी सड़कों का निरीक्षण करें। इसके बावजूद गड्ढे भरने पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में कुछ समय पूर्व लापरवाही बरतने के आरोप में मनपा २२ इंजीनियरों को कारण बताओ नोटिस दे चुकी है। मनपा आंकड़ों के अनुसार, अंधेरी पश्चिम वॉर्ड से गड्ढों को लेकर सबसे ज्यादा शिकायतें मिली हैं। मालाड, धारावी, दादर व माहिम, परेल, शिवडी और कुर्ला, साकीनाका में सड़कों पर गड्ढों की भरमार है। इसी तरह, ईस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे और वेस्टर्न एक्सप्रेस हाइवे तो केवल कहने के लिए हाइवे हैं। इन दोनों हाइवे की हालत भी कहीं कहीं पगडंडी की तरह हो गई है। उल्लेखनीय कि असंवैधानिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दो साल पहले मुंबई की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की घोषणा की थी, जो हवा-हवाई साबित हुई।

ढाई साल के सड़क ठेकों में हुआ है केवल भ्रष्टाचार
‘ईडी’ सरकार बनने के बाद से ढाई साल में सड़क बनानेवाले ठेकेदारों की चांदी ही चांदी है। भ्रष्टाचार चरम पर है। टोल फ्री चुनावी रेवड़ी है और चुनाव के बाद सरकार दोगुना टोल वसूलेगी। राज्य सरकार ने वोटों के लिए टोल नाकों पर एंट्री मुफ्त कर दी है।
-विजय पोपट थोरात, मानखुर्द

१०० मीटर की सड़क भी नहीं है चलने लायक
आज मुंबई की सड़कों में गड्ढे नहीं, बल्कि गड्ढों में सड़कें हैं। १०० मीटर की सड़क भी चलने लायक नहीं है। इन सड़कों का निर्माण करने वाले ठेकेदारों, मंत्रियों और अधिकारियों की मिलीभगत जग जाहिर है। चंद पैसों की खातिर अधिकारी अपनी आंखें बंद कर लेते हैं, जिसका फायदा उठाकर ठेकेदार अपनी मनमानी करते हैं। इसका खामियाजा आम नागरिकों को उठाना पड़ता है।
-जमीर कुरैशी, गोवंडी

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