टमाटर

जागे जबसे भाग टमाटर के
बदल गए सुर-राग टमाटर के
हुआ बंटवारा तरकारी मंत्रालय
का जब, हुए सारे अहम विभाग टमाटर के
भंग पिए आई जबसे है महंगाई
हुए रंगों वाले फाग टमाटर के
कुम्भ के सम है सब्जी के संगम
उसमें भी प्रयाग टमाटर के
मुमकिन है कि हमको भी मिल जाए,
देखे हैं भोर में मैंने सुंदर खाब टमाटर के
कांटे मयस्सर हो रहे और मिल रही पत्ती,
हुए जबसे इजहार-ए-गुलाब टमाटर के
रंगहीन आलू के भी हैं भाव चढ़े,
होना चाह रहे हैं अब तो साग टमाटर के।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी

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