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टोरेस ज्वैलरी पोंजी घोटाला, १,५३५ शिकायतें मिली  …१.२५ लाख निवेशकों की डूबी कमाई …सरकार की निष्क्रियता पर सवाल

सामना संवाददाता / मुंबई
टोरेस ज्वैलरी पोंजी घोटाला एक बार फिर निवेशकों का भरोसे तोड़ दिया। इस घोटाले में अब तक १,५३५ शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं और लगभग १.२५ लाख निवेशकों की मेहनत की कमाई डूब गई है। यह घोटाला रत्न, सोने और चांदी में निवेश का वादा कर किया गया है। पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) ने इस मामले में कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं और दोषियों को गिरफ्तार भी किया है। इस घोटाले में तीन विदेशी नागरिकों समेत कई स्थानीय कर्मचारी शामिल हैं।
घोटाले का तरीका और मास्टरमाइंड
टोरेस ज्वैलरी नामक कंपनी ने अपने निवेशकों को आकर्षित करने के लिए ११ फीसदी तक का भारी रिटर्न देने का वादा किया था। कंपनी ने अपने ६ स्टोरों के माध्यम से ग्राहकों को एक आकर्षक योजना के तहत जोड़ा। इसमें निवेशक को १ लाख रुपए का निवेश करने पर १०,००० रुपए का मोइसनाइट पेंडेंट और साप्ताहिक रिटर्न का वादा किया जाता था। हालांकि, बाद में निवेशकों को यह पता चला कि मोइसनाइट पत्थर नकली थे और उन्होंने कुछ समय बाद निवेशकों से किए वादे के अनुसार ब्याज का भुगतान भी बंद कर दिया।
इस घोटाले में तीन यूक्रेनी नागरिक ओलेना स्टोइन, आर्टिम और विक्टोरिया शामिल हैं। ये लोग स्थानीय कर्मचारियों के साथ मिलकर इस धोखाधड़ी को अंजाम दे रहे थे। पुलिस के मुताबिक, इन लोगों ने १५ लग्जरी कारों और नकद उपहारों के माध्यम से निवेशकों को ललचाया और बड़ी राशि इकट्ठा की। कंपनी का वीडियो और प्रचार रणनीतियों का इस्तेमाल कर इसका जाल बड़े पैमाने पर फैलाया गया था।
सरकार की जिम्मेदारी और
निवेशकों का आक्रोश
यहां पर यह सवाल उठता है कि जब सरकार ने इस कंपनी से टैक्स लिया था, तो अब सरकार क्यों इन निवेशकों की मदद नहीं कर रही है? यदि कंपनी पंजीकृत थी और इसके पास जीएसटी और सीआईएन नंबर थे, तो क्या सरकार को इसके कार्यों पर निगरानी नहीं रखनी चाहिए थी? यदि यह धोखाधड़ी पहले से ज्ञात थी, तो सरकार ने इसे रोका क्यों नहीं? टैक्स लेने के बाद सरकार को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए निवेशकों को सहायता प्रदान करनी चाहिए थी।
निवेशक इस धोखाधड़ी के कारण शर्मिंदा और निराश हैं। उनमें से अधिकांश निम्न-मध्यम वर्ग से हैं, जिनमें सब्जी विक्रेता, छोटे व्यापारी और कामकाजी लोग शामिल हैं। उन्होंने यह विश्वास किया था कि एक ऐसी कंपनी, जो जीएसटी नंबर और सीआईएन नंबर के साथ काम कर रही है, वह निश्चित रूप से सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होगी। इसलिए वे निवेश करने के लिए प्रेरित हुए। एक निवेशक ने कहा कि हमने जो पैसा निवेश किया, वह अब हमें वापस नहीं मिल रहा है। सरकार ने इस पर टैक्स लिया, तो अब हमें मदद क्यों नहीं कर रही है?’

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