सामना संवाददाता / नई दिल्ली
हिंदुस्थान का व्यापार घाटा मई में २३.७८ अरब डॉलर हो गया, जो सात महीने में सबसे ज्यादा है। पेट्रोलियम, खाद्य तेल और परिवहन उपकरणों का आयात बढ़ने से व्यापार घाटे में बढ़ोतरी हुई है। वाणिज्य विभाग द्वारा कल जारी आकड़ों से पता चलता है कि मई में देश से वस्तु निर्यात ९.१३ फीसदी बढ़कर ३८.१३ अरब डॉलर रहा। इस दौरान आयात ७.७ फीसदी बढ़कर ६१.९१ अरब डॉलर हो गया। कुल आयात में पेट्रोलियम उत्पादों की हिस्सेदारी करीब ३२ फीसदी रही और मई में इनका आयात २८ फीसदी बढ़कर १९.९५ अरब डॉलर रहा।
वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि जब आपकी अर्थव्यवस्था बाकी देशों से तेज बढ़ रही हो तो आयातित वस्तुओं की मांग बढ़ती है और देसी उत्पादों की मांग भी बढ़ती है इसलिए आपके पास निर्यात के लिए कम माल बचेगा, क्योंकि आयात की जानेवाली ज्यादातर वस्तुएं देसी बाजार में होंगी। यह दो बातों पर निर्भर करता है। देसी उत्पाद आयात होनेवाले कितने सामान की जगह ले लेते हैं और अर्थव्यवस्था कितनी तेजी से बढ़ती है। पेट्रोलियम उत्पादों के अलावा परिवहन उपकरण (३१.८८ फीसदी), चांदी (४०८ फीसदी), खाद्य तेल (२७.५ फीसदी) और दालों (१८१ फीसदी) का आयात भी बढ़ा है। इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि तेल के शुद्ध आयात में उछाल के कारण वस्तु व्यापार घाटा बढ़ गया। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतें कम होने के कारण इसका जमकर आयात किया गया, जिस कारण अप्रैल के मुकाबले मई में वस्तु व्यापार घाटा ७१ फीसदी बढ़ गया। अप्रैल से मई २०२४ के दौरान वस्तु व्यापार घाटे में साल भर पहले के मुकाबले ६ अरब डॉलर के इजाफे के कारण इस तिमाही में चालू खाते का घाटा जीडीपी के १.५ फीसदी तक पहुंच सकता है, जो पिछली तिमाही में जीडीपी का १.१ फीसदी था।