मुख्यपृष्ठनए समाचारकेडीएमसी स्मार्ट सिटी की चमक के बीच आदिवासी क्षेत्रों की अनदेखी! ...कातकरी...

केडीएमसी स्मार्ट सिटी की चमक के बीच आदिवासी क्षेत्रों की अनदेखी! …कातकरी समुदाय मूलभूत सुविधाओं से आज भी वंचित

संदीप पांडेय / मुंबई
एक तरफ जहां कल्याण-डोंबिवली मनपा (केडीएमसी) स्मार्ट सिटी परियोजना के माध्यम से शहर को आधुनिकता की दिशा में ले जा रही है, वहीं दूसरी ओर कल्याण-पश्चिम, पूर्व और टिटवाला के आदिवासी कातकरी समुदाय मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं, जोकि यह दर्शाता है कि स्मार्ट सिटी में कितना विकास हुआ है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान
लोकसभा चुनावों से पहले आदिवासी क्षेत्रों में बिजली की सुविधा दी गई थी, लेकिन इन क्षेत्रों में आज भी कई बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। केडीएमसी क्षेत्र के दुर्गम आदिवासी इलाकों में आंतरिक सड़कों की हालत खस्ता हो चुकी है। प्रशासन और जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर नहीं जाता, जिससे आदिवासी उबड़-खाबड़ रास्तों पर सफर करने को मजबूर हैं। आदिवासी समुदाय को जीविकोपार्जन के लिए प्लास्टिक बीनने या दिहाड़ी मजदूरी के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं मिलता। यहां के श्मशान भूमि की स्थिति इतनी खराब है कि बारिश के दौरान अंतिम संस्कार करना भी मुश्किल हो जाता है।
बस्तियों की स्थिति दयनीय
आदिवासी कातकरी वाड़ी, आर.एस. जेतवन नगर में रहनेवाले लोग शौचालय के अभाव में रात में अंधेरे का इंतजार करते हैं। यहां आंगनवाड़ी नहीं होने के कारण बच्चों की शिक्षा भी बाधित हो रही है, वहीं वाड़ी नं.१, उंभार्णी का क्षेत्र सड़क के किनारे स्थित है। बारिश के दौरान यहां की सड़कों पर पानी भर जाता है। शौचालय की स्थिति इतनी दयनीय है कि महिलाओं को रात में ही शौच के लिए जाना पड़ता है, जबकि टिटवाला के मंदिर क्षेत्र में कातकरी आदिवासियों की संख्या १५० तक है, लेकिन यहां न तो कोई पक्का रास्ता है और न ही शौचालय की व्यवस्था। मोहने क्षेत्र की आर.एस. जेतवन नगर की कातकरी क्षेत्र की रहने वाली ८० वर्षीय मालाबाई वाघे कहती हैं कि कुछ दिनों पहले हमारे क्षेत्र में स्ट्रीट लाइटें लगाई गर्इं, लेकिन महिलाओं को शौचालय की खराब स्थिति के कारण अंधेरा होने का इंतजार करना पड़ता है। धनुबाई वाघे बताती हैं कि हमारी बस्ती के पास कुछ दिनों पहले सड़क निर्माण हुआ था, लेकिन उसे अधूरा छोड़ दिया गया। रात के समय सड़क पर चलते हुए गिरकर घायल होने का डर बना रहता है।
अन्य क्षेत्रों की भी स्थिति गंभीर
कल्याण-पश्चिम की वाडेघर कातकरीवाड़ी नं. १, कातकरीवाड़ी नं. २, नाईकवाड़ी, वायले नगर, लामणीपाड़ा, उंभार्णी, इंदिरा नगर, घोस्टई रोड, गणेशवाड़ी, ठाकुरपाड़ा, गणेश विद्यालय वाड़ी, सावरकर नगर, समता नगर, गणेश नगर और शांति नगर (बंजारा बस्ती) जैसे क्षेत्रों की भी स्थिति बेहद खराब है।

उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर
कल्याण-पश्चिम के ५, पूर्व के ३ और टिटवाला के १०, यानी कुल मिलाकर १८ आदिवासी पाड़ा असुविधाओं के जाल में फंसे हुए हैं। यहां रहनेवाले परिवार उपेक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं। अधिकांश घर पक्के भी नहीं हैं। ये लोग टिन की छतों और प्लास्टिक से ढके घरों में रहने को मजबूर हैं, जहां न तो गटर की व्यवस्था है और न ही शौचालय की।

अन्य समाचार