मुख्यपृष्ठनए समाचारआदिवासियों ने शराबबंदी की ठानी...खुले समृद्धि के द्वार

आदिवासियों ने शराबबंदी की ठानी…खुले समृद्धि के द्वार

ईश्वर ने हमें मानव के रूप में जन्म दिया, बेशकीमती शरीर दिया। अगर शरीर व दिमाग का सही उपयोग किया जाए तो निश्चित ही बदकिस्मती को सद किस्मत में बदला जा सकत है। किस्मत बदलने का ऐसा ही एक समाचार, समाचार पत्र में पढ़ने को मिला। बहुत ही सकारात्मक एवं अनुकरण करने योग्य है। मध्य प्रदेश के बुरहानपुर के दो आदिवासी बाहुल्य गांव चोंडी और जम्बूपानी के लोगों ने अपने हाथों अपनी किस्मत बदलने का काम किया है। ये गांव शराब की लत से भरपूर सराबोर थे। विवाद भी बहुत होते थे, लेकिन समाज के आदिवासियों ने शराबबंदी करने के साथ शराब पीने वालों पर अर्थदंड का फरमान जारी किया। सभी लोगों ने समाज के फैसले को मानने व पालन करने का संकल्प लिया।
अब इन गांवों के लोग न केवल अपनी आजीविका को लेकर जागरूक हुए, बल्कि गांव में समृद्धि की लक्ष्मी भी अवतरित होने लगी है। शराब से पिंड छूटा तो विवाद भी खत्म हो गए। बुराई तो आखिर बुराई होती है। चाहे वह जुआं, सट्टा हो या शराब की लत या अन्य। ये सभी बर्बादी के रास्ते पर ले जाने वाले हैं। देश में वैध, अवैध शराब के चलते न केवल पीने वालों की संख्या बढ़ रही है, बल्कि जानें भी ले रही हैं। शारीरिक, पारिवारिक व आर्थिक रूप से भी विनाश कर रही है। इसी शराब के चलते जब सड़कों पर गाड़ियां चलाई जाती हैं, तो दुर्घटनाग्रस्त होने पर कई भगवान के प्यारे हो जाते हैं और कई अपाहिज होकर नरकीय जीवन जीने को विवश हो जाते हैं। शराब के कारण अपराध व विवाद बढ़ते हैं वह अलग।
भले ही सरकार अपना कोष बढ़ाने के लिए इस बुराई को खत्म करें या न करें, लेकिन प्रत्येक इंसान अगर ठान लें तो निश्चित ही इस बुराई को जड़ से मिटाया जा सकता है। मध्य प्रदेश में जिन दो गांव की चर्चा की जा रही है चोंडी और जम्बूपानी, वे संकल्प की मिसाल हैं। बताया जाता है कि इन गांवों के लोगों में समृद्धि आने के साथ-साथ अब अपराध, मारपीट, झगड़ों के विवाद भी नहीं होते हैं, जो शराब की लत के शिकार हैं, उन्हें आदिवासी समाज से सीख लेना चाहिए और अपनी किस्मत को बदलते हुए समृद्धि की लक्ष्मी का स्वागत करना चाहिए।
-हेमा हरि उपाध्याय ‘अक्षत’
खाचरोद, उज्जैन

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