श्मशान घाट में खोला है कार्यालय
सामना संवाददाता / गोरखपुर
देशभर में चल रहे लोकसभा चुनाव अब समाप्ति की ओर है, इसके बावजूद चुनावी सरगर्मियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से एक ऐसे उम्मीदवार हैं जो काफी चर्चा में हैं। यह उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल करने के लिए अर्थी पर सवार होकर कलेक्ट्रेट पहुंचा। इन महाशय का नाम है राजन यादव उर्फ अर्थी बाबा, जो निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। खास बात यह है कि अर्थी बाबा ने अपना चुनाव कार्यालय श्मशान घाट पर ही खोला हुआ है।
‘मुद्दे बन गए हैं श्मशान’
बताया जाता है कि राजन यादव पहली बार चुनाव नहीं लड़ रहे हैं, इसके पहले भी वे बतौर प्रत्याशी चुनाव में उतर चुके हैं। चुनाव लड़ने की वजह पूछने पर अर्थी बाबा कहते हैं कि वो चुनाव इस वजह से लड़ रहे हैं, क्योंकि उनका व्यवस्था (सिस्टम) पर से विश्वास उठ चुका है। उन्होंने कहा कि देश में आज जो व्यवस्था है, उसकी मौत हो चुकी है। क्योंकि जो भ्रष्ट नेता चुने जाते हैं वो सदन में पहुंचते तो हैं लेकिन कभी भी जनता के हक की आवाज नहीं उठाते। इसलिए मुद्दे भी श्मशान बन गए हैं। यही वजह है कि मैंने श्मशान घाट पर ही अपना कार्यालय भी बनाया है। मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए।
‘देना है तो चिता की लकड़ी दो’
वे आगे कहते हैं कि अगर दान करना है तो किसी को चिता के लिए लकड़ी दान करें, किसी जरूरतमंद को स्कूल की पढ़ाई के लिए फीस कोई चाहें तो अस्पताल जाकर मरीजों को दवाई दान करें। अर्थी बाबा ने आगे बताया कि मैं तो राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के खिलाफ बतौर प्रत्याशी चुनाव लड़ने के लिए तैयारी की थी, लेकिन उस दौरान किसी भी विधायक या सांसद मेरा प्रस्तावक बनने को तैयार नहीं हुआ और इसी वजह से मैं चुनाव नहीं लड़ सका।
एमबीए होल्डर हैं अर्थी बाबा
बता दें कि अर्थी बाबा यानी राजन यादव ने एमबीए की डिग्री ली है। उन्होंने बताया कि एमबीए की पढ़ाई गोरखपुर के एक कॉलेज से पूरी करने के बाद उन्हें विदेश में नौकरी करने का भी ऑफर था, लेकिन वह नहीं गए क्योंकि उनकी इच्छा थी कि वह समाजसेवा करें। समाजसेवा के भाव की वजह से ही वह अब चुनाव में उतरे हैं।
सीएम योगी के खिलाफ भी लड़ चुके हैं चुनाव
अर्थी बाबा ने बताया कि वह वर्ष २००९ में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ भी विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं साथ ही उन्होंने देश के मौजूदा रक्षा मंत्री राजनाथ के खिलाफ भी २०१४ में पर्चा भरा था। हालांकि, जब लखनऊ से उनका पर्चा खारिज कर दिया गया तो वह २०१४ में ही बनारस से पीएम मोदी के खिलाफ भी पर्चा भरने गए, लेकिन उन्हें वहां से भी पर्चा नहीं भरने दिया गया। अर्थी बाबा ने बताया कि २०१९ में वह अखिलेश यादव के खिलाफ भी चुनाव लड़ने की कोशिश कर चुके हैं।