संदीप पांडेय / मुंबई
भारत में हर साल लाखों बच्चे जन्म लेते हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश उनमें से कुछ जन्मजात विकारों के शिकार होते हैं। श्रवण बाधित (सुनने की क्षमता में कमी) सबसे आम जन्मजात दोषों में से एक है। हर १,००० जन्म लेने वाले बच्चों में ३ से ४ बच्चे सुनने में असमर्थ होते हैं। भारत में प्रतिदिन ७५,००० बच्चे जन्म लेते हैं, जिनमें से लगभग १२५ लड़कियां बहरी पैदा होती हैं। अच्छी खबर यह है कि यह एकमात्र जन्मजात विकार है, जो पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। लेकिन दुखद यह है कि सिर्फ ५ प्रतिशत बच्चे ही इस उपचार का लाभ उठा पाते हैं, जबकि बाकी इस सुनहरे अवसर से वंचित रह जाते हैं।
स्वामी हरिचैतन्य पुरी महाराज की
प्रेरणा से हुआ बड़ा कार्य
मानवता की सेवा और महिला सशक्तीकरण के उद्देश्य से कुर्ला स्थित क्रिटीकेयर एशिया मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल में ईएनटी स्पेशलिस्ट डॉ. संजय हेलाले और आर. सुरेश फाउंडेशन ने मिलकर दो बच्चियों-वंशिका (ठाणे) और दृष्टि (राजस्थान) का सफलतापूर्वक कॉक्लियर इंप्लांट किया। यह पहल महिलाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे ये बच्चियां अब सामान्य जीवन जी सकेंगी और समाज की मुख्यधारा से जुड़ सकेंगी।
सुनने की क्षमता वापस पाने का सुनहरा अवसर
विशेषज्ञों के अनुसार, जन्म के पहले तीन साल ‘गोल्डन विंडो पीरियड’ होते हैं, जिनमें इलाज होने पर बच्चा सामान्य तरीके से सुन और बोल सकता है, लेकिन जानकारी के अभाव में कई परिवार इस मौके को गवां देते हैं।
क्रिटीकेयर एशिया मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल और आर. सुरेश फाउंडेशन के इस प्रयास ने साबित कर दिया कि यदि सही समय पर उचित उपचार मिले, तो जन्मजात बहरेपन को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। डॉ. संजय हेलाले इस पहल के लिए स्वामी हरिचैतन्य पुरी महाराज के आशीर्वाद और प्रेरणा को विशेष महत्व देते हैं।
‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ के साथ ‘बेटी को सुनने दो’ का भी संकल्प!
महिला सशक्तीकरण सिर्फ शिक्षा और समानता तक ही सीमित नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य और अवसरों तक भी विस्तारित होना चाहिए। यह अभियान उन सभी परिवारों के लिए एक संदेश है, जो अपने बच्चों को सुनने की क्षमता लौटाने के इस स्वर्णिम अवसर से वंचित कर रहे हैं। इस जागरूकता को पैâलाने की जरूरत है, जिससे अधिक से अधिक बच्चों को इस जीवन बदलने वाले उपचार का लाभ मिल सके।