अनिल मिश्र/रांची
झारखंड प्रदेश के पश्चिम सिंहभूम जिले के तीन प्रखंडों के करीब दो सौ लोगों ने ईसाई धर्म को छोड़कर पुनः हिन्दू धर्म को स्वीकार कर लिया।इस बाबत की जानकारी द्वारका शारदा पीठाधीश्वर जगत गुरु शंकराचार्य स्वामी श्री सदानंद सरस्वती महाराज ने दिया। शारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु सदानंद सरस्वती महाराज ने इस अवसर पर कहा कि सनातन धर्म शास्वत है और इसका अंत कभी नहीं हो सकता है। जगद्गुरु शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज ने आज दोपहर झारखंड प्रदेश के पश्चिमी सिंहभूम के विश्व कल्याण आश्रम पारलीपोस में आयोजित स्वधर्म वापसी कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान जगद्गुरु सदानंद सरस्वती महाराज के समक्ष पैंतीस गांवों के एक सौ पनचानवे ग्रामीणों ने हिन्दू धर्म में वापसी किया।
ये सभी पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहरपुर,आनंदपुर व गोईलकेरा प्रखंड के मूल निवासी हैं। इस अवसर पर शंकराचार्य सदानंद सरस्वती महाराज ने मंत्रोच्चार के बीच गंगाजल से सभी लोगों को शुद्ध कराकर व गंगा जल पीलाकर वापसी करवाया ।इस मौके पर जगद्गुरु ने कहा कि सनातन धर्म -हिन्दू धर्म शाश्वत है और शाश्वत का अर्थ होता है जो हमेशा रहता है। जैसे हमारे माता- पिता नहीं बदलते हैं।हमारा रक्त नहीं बदलता है।ठीक उसी प्रकार से धर्म का परिवर्तन नहीं हो सकता है। सनातन धर्म में सभी धर्मो का समावेश है।
इस अवसर पर जगद्गुरु सदानंद सरस्वती ने कहा कि हमारे देश भारत में अनेक धर्मावलम्बियों निवास करते हैं और हम चाहते है क्रि जैसी सुविधा दूसरे धर्मवलाम्बियों को अपने धर्म पालन करने की सुविधा है वैसी ही सुविधा शासन- प्रशासन से हिन्दुओं को भी प्राप्त होना चाहिए। गरीबी अथवा अभाव के कारण,जबरन या प्रलोभन दे कर कोई भी आदिवासी भाई, हिन्दू या सरना मानने वाले कोई अपना धर्म परिवर्तन न कराये। यह सुनिश्चित कराना प्रदेश एवं केंद्र सरकार का काम है। इस संबंध में धर्म वापसी करने वालों ने स्वयं कहा कि वे सब पहले हिन्दू थे, पर लोग भटक कर,अज्ञानता और प्रलोभन में आकर इसे बदल लिया था। जन जागरण व स्व चेतना से लोग अपने धर्म में वापस आये है। हमें अपने धर्म का स्वाभिमान होगा तो न सिर्फ हम अपने धर्म के प्रति हर परिस्थिति में अडिग रहेंगे।बल्कि इसकी रक्षा भी करेंगे।