मुख्यपृष्ठस्तंभउड़न छू : मुल्ला नसरुद्दीन के किस्से

उड़न छू : मुल्ला नसरुद्दीन के किस्से

अजय भट्टाचार्य

वाचिक परंपरा, जबानी रिवायत के किस्सों में एक शख्स के किस्से बहुत मशहूर हैं। ये किरदार है मुल्ला नसरूद्दीन। यूं तो मुल्ला नसरुद्दीन का ताल्लुक तुर्की से है, लेकिन इनके किस्से दुनियाभर की रिवायतों में मिलते हैं।
एक दिन, एक पड़ोसी जो मुल्ला नसरुद्दीन को पसंद नहीं करता था, उससे मिलने आया। पड़ोसी ने नसरुद्दीन से पूछा, `क्या मैं आपका गधा उधार ले सकता हूं?’ नसरुद्दीन अपना गधा उस पड़ोसी को उधार नहीं देना चाहता था, जिसे वह पसंद नहीं करता था। उसने उससे कहा, `मुझे तुम्हें अपना गधा उधार देने में बहुत खुशी होगी। दुर्भाग्य से मेरा भाई कल आया और मुझसे वही अनुग्रह मांगा। वह मेरे गधे को अपनी गेहूं की फसल को मिल तक ले जाने के लिए अगले शहर में ले गया है। दुख की बात है कि गधा यहां नहीं है।’
`ओह, बहुत बुरा। फिर भी धन्यवाद,’ कहकर पड़ोसी घर जाने के लिए मुड़ा। पड़ोसी अभी कुछ ही कदम आगे बढ़ा था कि मुल्ला नसरुद्दीन का गधा, जो हर समय उसके परिसर के पीछे रहता था, जोर से चिल्लाने लगा। पड़ोसी पीछे मुड़ा और बोला, `मुल्ला नसरुद्दीन, मुझे लगा कि तुमने कहा था कि तुम्हारा गधा यहां नहीं है।’
`वह नहीं है,’ मुल्ला नसरुद्दीन ने कहा।
`लेकिन मैंने तो बस उसे चिल्लाते हुए सुना!’ पड़ोसी ने कहा।
मुल्ला नसरुद्दीन पड़ोसी की ओर मुड़े और बोले, `मेरे दोस्त, तुम किस पर विश्वास करोगे? मुझ पर, या गधे पर?’ जाहिर है पड़ोसी निरुत्तर था। उसने मुल्ला की बात मानी और चला गया। सबक यह कि गधे का भरोसा मत करो।
इसी तरह का एक किस्सा और है, जिसमें एक शाम मुल्ला अपने घर में थे, फिर सोचा थोड़ी देर छत पर चला जाए। मुल्ला छत पर चढ़े और छत से लगे छज्जे पर खड़े होकर चारों ओर का नजारा देखा। ठीक वैसी ही अनुभूति हुई जैसे कोई लाल किले पर खड़ा हो चांदनी चौक की चकाचौंध निहार रहा हो। उनको लगा कि इतनी खूबसूरत शाम है तो क्यों न अपने गधे को भी छत पर ले आया जाए। छत से लगे छज्जे जिसे अंग्रेजीदां बालकनी कहते हैं, से इन नजारों का लुत्फ बेचारा गधा भी ले ले।
मुल्ला ने गधे को सीढ़ी पर चढ़ाने की कोशिश की। बड़ी मुश्किल से किसी तरह धकियाकर गधे को छत पर चढ़ा पाए। जब गधा ऊपर पहुंचा तो मुल्ला ने देखा कि वो तो अपनी जगह पर अड़ा है। शाम की खूबसूरती से बेनियाज खड़ा है। मुल्ला को ये देखकर मायूसी हुई। अब वे गधे को नीचे ले जाने के लिए जोर लगाने लगे। गधा नीचे नहीं उतरा तो मुल्ला खुद नीचे आ गए। थोड़ी देर बाद मुल्ला ने छत से अजीबोगरीब आवाजें सुनीं। ऊपर गए तो देखा कि गधा अपनी दुलत्तियों से कच्ची छत को तोड़ने की कोशिश कर रहा है। मुल्ला ने फिर उसे नीचे उतारने की कोशिश की, मगर गधे ने दुलत्ती मारकर मुल्ला को ही छत से नीचे गिरा दिया और थोड़ी देर बाद गधा टूटी हुई छत से खुद भी नीचे आ गिरा। मुल्ला ने कहा कि आज इस वाकए से मैने तीन सबक सीखे। पहला यह कि गधे को कभी ऊंची जगह नहीं ले जाना चाहिए, वरना गधा उस ऊंचे मकाम को बरबाद कर देता है। दूसरा यह कि जो इंसान उसे ऊपर ले जाता है, उसे भी नुकसान पहुंचाता है और तीसरा यह कि अंत में गधा खुद भी नीचे आ गिरता है। बहुत देर ऊपर नहीं टिक पाता। दोनों ही किस्सों को अपने देश से जोड़कर सोचिए और मतदान करिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और देश की कई प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में इनके स्तंभ प्रकाशित होते हैं।)

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