अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर में अवैध बैनर की रोकथाम को लेकर आयुक्त द्वारा दिए गए निर्देश का पालन न करते हुए शहर के नेता हमेशा की तरह से बैनर कानून को ठेंगा दिखाते हुए काम करने में लगे हैं। आश्चर्य की बात तो यह है कि उल्हासनगर के प्रभाग अधिकारी नेताओं पर मामला दर्ज न करते हुए केवल छोटे-मोटे लोगों पर दिखावटी कार्रवाई कर अपनी ड्यूटी पूरी मान ले रहे हैं। अब देखना होगा कि आयुक्त विकास ढाकने गलत कार्यों को ढकने वाले अधिकारियों पर क्या कदम उठाते है?
उल्हासनगर प्रभाग दो के सहायक आयुक्त मनीष हिवरे ने बताया कि उच्च न्यायालय के आदेश पर विधानसभा की आचार संहिता शुरू होते ही १८८ अवैध निकाले गए, जिसकी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को दी गई है। उसके बाद आयुक्त के आदेश पर शहर को विद्रूप स्थिति से बचाने के कठोर कदम उठाए गए हैं। अब शहर के सभी पार्टी प्रमुख को नोटिस दी गई है कि बैनर लगाने के लिए मनपा से इजाजत लेने की जरूरत है। इतना ही नहीं हर बैनर का माप निश्चित किया गया है। मनपा द्वारा निश्चित जगह पर ही बैनर लगाने हैं। डिजिटल बैनर बनाने वाले बैनर पर मनपा का आदेश नंबर, प्रिंटर का नाम लिखना जरूरी है। पहले कहीं पर भी टिन के डिब्बे में मिट्टी भरकर बांस के बंबू लगाकर बैनर लगाया जाता है। बैनर पर आदेश व कितने दिन तक बैनर लगा रहेगा, उसकी भी तारीख लिखी होनी चाहिए। निश्चित समय के बाद खुद ही बैनर निकालने की जिम्मेदारी बैनर लगाने वाले की होती है। इतना सब निर्देश के बावजूद शहर के दबंग नेता आदेश को न मानते हुए जन्मदिन के बैनर लगा रखे हैं। बैनर आदेश को मनपा के अधिकारी नजर अंदाज कर रहे हैं। बैनर को लेकर जारी आयुक्त का आदेश पूरे उल्हासनगर में अर्थात चारों प्रभाग अधिकारी पर लागू रहेगा।