मुख्यपृष्ठनमस्ते सामनापलटू चाचा मारकर बैठ गए मैदान

पलटू चाचा मारकर बैठ गए मैदान

पलटू चाचा मारकर।
बैठ गए मैदान।।
सपने में हैं पा गए।
पूरा हिंदुस्थान।।

अपने मन को मार कर।
टैक्स दे रहे लोग।।
उधर लगा है देश को ।
रेवड़ी वाला रोग।।

पैसे से कुर्सी बची।
पैसे से जनतंत्र।।
पैसा ही है हो गया।
आज आधुनिक मंत्र।।

चाचा हँस कर ले रहे।
जैसे कोई दान।।
लूट लिए हैं देश में।
गिरा हुआ सम्मान।।

आंध्र प्रदेश बिहार को।
मिला बजट का प्यार।।
बाकी सब चुपचाप हैं ।
जैसे मरा सियार।।

बाकी सब कहते रहे।
खफा हो गए यार।।
उछल उछलकर गा रहा।
पलटा हुआ बिहार।।

यू पी में डगमग हुआ।
चमका आज बिहार।।
देख रहे हैं लोग सब।
मौसम का व्यवहार।।

राजनीति है छू रही।
लक्ष्मीपति के पाँव।।
शहरों में बरसात है।
सूखा मेरे गाँव।।

बार बार हम कह रहे।
चलो बचाओ देश।।
वक्त माँगता जा रहा ।
मौसम का आदेश।।

बातों से तो मिल गया।
पूरा आशीर्वाद।।
लेकिन करतब में रहा।
भारी वाद विवाद।।

अन्वेषी

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