-रु. ११४ करोड़ की खरीद पर उठे सवाल
-रु. ७२ करोड़ का भुगतान भी हो गया
-हाई कोर्ट ने खींचे सरकार के कान
सामना संवाददाता / मुंबई
इस सरकार ने बहुत से घोटाले किए हैं। अब इस ‘घोटालेबाज’ सरकार का एक और घोटाला सामने आया है। यह है यूनिफार्म घोटाला। इसके तहत बिना टेंडर निकाले छात्रों के ११४ करोड़ के गणवेश खरीदने के साथ ही ७२ करोड़ रुपयों का भुगतान भी कर दिया गया। अब हाई कोर्ट ने इस कृत्य के लिए सरकार के कान खींचे हैं। यह घोटाला आदिवासी विकास विभाग में हुआ है। विभाग ने पूरी तरह से नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए यह खरीद की है।
छात्रों का यूनिफार्म खरीद घोटाला
गैरकानूनी खरीद पर
छह लोगों के हैं हस्ताक्षर!
कोर्ट ने हलफनामा दायर करने का दिया था आदेश
बिना टेंडर निकाले महायुति सरकार के आदिवासी मंत्रालय ने ११४ करोड़ रुपयों में छात्रों के गणवेश खरीदे हैं। इस गैर कानूनी आदेश पर तत्कालीन मंत्री और सचिव से लेकर छह लोगों के हस्ताक्षर भी हुए हैं।
शासनादेश के मुताबिक, एक करोड़ रुपए से अधिक की खरीद नियमित टेंडर प्रक्रिया के बिना सीधे दर अनुबंध पर नहीं की जानी चाहिए, लेकिन आदिवासी विकास विभाग ने इस नियम की धज्जियां उड़ा दी हैं। इसके अलावा आपूर्तिकर्ता को लगभग ७२ करोड़ रुपए का भुगतान भी कर दिया गया है। खास बात यह है कि १५ मार्च २०२४ को एक ही दिन में ९५ करोड़ रुपए की यूनिफार्म की आपूर्ति आदेश की फाइल पर आदिवासी विकास विभाग के लिपिक से लेकर सचिव और तत्कालीन मंत्री तक छह लोगों के हस्ताक्षर हैं। साथ ही उसी दिन मंजूरी पत्र आदिवासी विकास आयुक्तालय को प्राप्त हुआ। इतना ही नहीं, तत्कालीन आयुक्त ने भी आपूर्ति आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए। इस मामले में सरकार को हलफनामा दाखिल करने का आदेश भी दिया गया था, लेकिन समय पर हलफनामा न दाखिल करने पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए १० हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
आदिवासी छात्रों के लिए है यूनिफार्म
राज्य के आदिवासी छात्रों को आदिवासी विकास विभाग द्वारा वर्दी और नाइट ड्रेस उपलब्ध कराई जाती है। एक जनवरी २०१६ के शासन खरीद नीति में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एक करोड़ रुपए से अधिक के लेन-देन की खरीद दर अनुबंध पद्धति से नहीं की जा सकती। इसके बावजूद नोडल एजेंसी के रूप में काम कर रहे उद्योग विभाग ने सोलापुर स्थित संस्था के साथ २७ सितंबर २०२३ को अनुबंध कर वर्दी आपूर्ति की दर तय कर दी।