श्रीकिशोर शाही
वो कहते हैं न कि करे कोई और भरे कोई। अब बिहार में एनडीए की चुनावी रैली में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने मंच पर एक ऐसा कारनामा कर दिया कि सोशल मीडिया पर उनकी खूब धज्जियां उड़ रही हैं। अब धज्जियां तो उड़ रही हैं नीतिश की पर शर्मिंदा हो रहे हैं तेजस्वी यादव। बात ही कुछ ऐसी है। दरअसल, मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मौजूद थे। नीतिश और मोदी अगल-बगल की कुर्सियों पर बैठे थे। इस दौरान कुछ ऐसा हुआ कि नीतीश ने झुक कर मोदी के पैर छू लिए। अब छुए या नहीं छुए पर जो तस्वीर सामने आई उससे तो यही लग रहा है कि नीतीश के हाथ मोदी के पैरों की तरफ झुके। तेजस्वी यादव ने जब यह देखा तो उन्हें बहुत बुरा लगा। जनाब ने फरमाया कि शर्म भी आ रही है। बहुत पीड़ा हुई। तेजस्वी ने कहा कि क्या हालत हो गए हैं? नीतिश कुमार हमारे अभिभावक हैं। उनके जैसा कोई दूसरा मुख्यमंत्री अनुभवी नहीं है और वह इस तरह से सार्वजनिक मंच पर प्रधानमंत्री मोदी के पैर छू रहे हैं, यह देखकर हमें तो बहुत शर्म आ रही है। वैसे भी देखा जाए तो नीतिश कुमार ४०० को ४,००० बता रहे हैं, ऐसे में तो यही कहा जा सकता है कि चाचा की याददाश्त बड़ी कठिन दौर से गुजर रही है।
‘आप’ जैसा कोई मेरी जिंदगी में आए
लोकसभा चुनाव के ठीक पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को ‘ईडी’ ने शराब घोटाले के आरोप में गिरफ्तार करके तिहाड़ जेल में डाल दिया। चुनाव के पहले ऐसा करके चुनाव में ‘आप’ के पर कतरने की कोशिश की गई। ऐसा इसलिए क्योंकि भाजपा को शायद ‘आप’ से डर लग रहा है। सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और उसके बाद अरविंद केजरीवाल। ‘आप’ के सारे स्टार प्रचारक जेल में बंद। ऐसे में ‘आप’ को नुकसान संभावित था। मगर संजय सिंह की रिहाई ने ‘आप’ को संजीवनी प्रदान कर दी है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि संजय सिंह की रिहाई के बाद आपके प्रति लोगों की सहानुभूति बढ़ी है। संजय सिंह की रिहाई न केवल भाजपा को कमजोर करती है बल्कि केजरीवाल और ‘आप’ के लिए सहानुभूति भी पैदा करती है। इस कारण संभावित रूप से ‘आप’ का समर्थन और जनधार बढ़ेगा। रिहाई के बाद संजय सिंह ने जिस तरह आक्रामक तेवर अपनाया है, उससे साफ है कि गिरफ्तारी के डर से ‘आप’ को दबाया नहीं जा सकता। हो सकता है कि आने वाले दिनों में ‘आप’ के और नेताओं को भी रिहाई मिल जाए। सामूहिक उपवास के बाद निश्चित तौर पर आम आदमी के बीच ‘आप’ की टीआरपी बढ़ी है।
चौधरी की घर वापसी
चुनावी माहौल में बहुत से नेता पार्टी बदल रहे हैं। इसमें कुछ नेता तो स्वार्थवश यहां-वहां हो रहे हैं पर कुछ नेताओं को बदले मौसम में अपना पुराना घर ही अच्छा लगने लगा है और वे घर वापसी कर रहे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भी भाजपा से इस्तीफा दे दिया है और घर वापसी कर रहे हैं। कल मंगलवार को उनकी घर वापसी हो गई। दरअसल, हरियाणा के दिग्गज नेता बीरेंद्र सिंह कांग्रेस के पुराने नेता रहे हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी का दौर देखा है और उसके बाद राजीव गांधी और सोनिया गांधी का कार्यकाल भी देखा है। यूपीए-२ के दौरान उन्हें मंत्री बनाए जाने का आश्वासन दिया गया था पर नहीं बनाया गया। इससे नाराज होकर बीरेंद्र सिंह ने पार्टी छोड़ दी थी। बीरेंद्र सिंह के पहले उनके बेटे और हिसार से भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह ने भी पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। यानी पुत्र के बाद अब पिता की बारी है। बता दें कि प्रशासनिक अधिकारी से नेता बने बृजेंद्र सिंह ने २०१९ के लोकसभा चुनाव में हिसार सीट पर जीत हासिल की थी। दुष्यंत चौटाला और उस समय कांग्रेस में रहे बिश्नोई को इस सीट पर हार का सामना करना पड़ा था। बीरेंद्र सिंह जाट समुदाय से आते हैं। ऐसे में चुनाव के ठीक पहले भाजपा छोड़ने से चुनाव के समीकरण में फेर-बदल होना निश्चित है।