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वंदे भारत फेल! …नागपुर-सिकंदराबाद मार्ग पर नहीं मिल रहे यात्री

२० डिब्बे से घटकर अब सिर्फ ८ डिब्बे की दौड़ेगी ट्रेन!
रेलवे ने किया फैसला
सामना संवाददाता / मुंबई
आम जनता को बुलेट ट्रेन, वंदे भारत ट्रेन के सपने दिखाए जा रहे हैं, लेकिन यह ट्रेन आमजन के लिए बिल्कुल नहीं है क्योंकि इसमें सिर्फ वही सफर कर सकते हैं, जिनकी जेबें भारी रहती हैं। वंदे भारत ट्रेन यह कहकर शुरू की गई थी कि इससे यात्रियों की यात्रा सुगम होगी, लेकिन ऐसा होते हुए बिल्कुल भी नहीं दिख रहा। नागपुर -सिकंदराबाद मार्ग पर वंदे भारत यात्रियों की कमी से जूझ रही है और यही वजह है कि २० डिब्बे की वंदे भारत अब मात्र ८ डिब्बे की ही बचेगी, यह नियम १९ फरवरी से लागू होगा।
मिली जानकारी के मुताबिक, नागपुर-सिकंदराबाद मार्ग पर वंदे भारत की शुरुआत बीते वर्ष सितंबर माह में की गई थी। शुरुआत से ही यह प्रीमियम ट्रेन यात्रियों के अभाव से जूझ रही थी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यात्रियों की बुकिंग कभी भी ४० प्रतिशत के आंक़ड़ों को छू नहांr सकी। इस मार्ग पर लगभग २५ से ३० प्रतिशत सीटें ही बुक होती रहीं। यात्रियों ने इस ट्रेन में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिसके बाद रेलवे ने कोच यानी डिब्बे कम करने का पैâसला किया।
क्यों नहीं बढ़ पाई टिकटों की मांग?
जानकारी के मुताबिक, पहला कारण ट्रेन का समय हो सकता है। नागपुर से इसके चलने का समय सुबह ५ बजे का है, वहीं सिकंदराबाद में यह दोपहर साढ़े १२ बजे के आस-पास पहुंचती है। कई लोगों को आधे दिन का नुकसान हो जाता है। दूसरा कारण दूरी तय करने में लगने वाला समय है। वंदे भारत नागपुर-सिकंदराबाद की दूरी तय करने में ७ घंटे १५ मिनट का समय लगाती है, वहीं कुछ आम गाड़ियां ८ या साढ़े ८ घंटे का समय लगाती हैं इसलिए समय का कुछ खास अंतर यात्रियों को नहीं नजर आता। वहीं आम ट्रेनों में स्लीपर कोच हैं, लेकिन वंदे भारत में केवल बैठने के लिए चेयर है। कुछ यात्री रोडवेज का भी सहारा लेते हैं। इसके अलावा किराए में भी फर्क है, जहां वंदे भारत का किराया ज्यादा है तो वहीं जनरल ट्रेनों का वंदे भारत के मुकाबले सस्ता किराया है। यह पहली बार नहीं है कि वंदे भारत के साथ ऐसा हो रहा है। इसके पहले नागपुर-बिलासपुर मार्ग पर भी ट्रेन के कोच १६ से घटाकर ८ कर दिए गए थे।

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