उमेश गुप्ता/वाराणसी
विकास प्राधिकरण में भ्रष्टाचार का एक और मामला सामने आया है। अधिवक्ता शिव कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद उनके फ्लैट का नामांतरण बिना रिश्वत दिए नहीं हो रहा था। सिगरा क्षेत्र के शास्त्री नगर आवासीय योजना के तहत आने वाले इस फ्लैट के नामांतरण के लिए क्लर्क और अधिकारियों ने चार साल से उन्हें परेशान किया। जिसके बाद अधिवक्ता के शिकायत पर एंटी करप्शन ने कार्रवाई करते हुए क्लर्क को धर दबोचा।
इस संदर्भ में अधिवक्ता ने बताया कि कई बार अधिकारियों से बात करने के बावजूद उन्हें क्लर्क के पास भेज दिया जाता था। क्लर्क ने खुलेआम कहा कि बिना पैसे के अधिकारी काम नहीं करेंगे। लगातार टालमटोल और रिश्वत की मांग से परेशान होकर अधिवक्ता ने एंटी करप्शन विभाग में शिकायत दर्ज कराई।
अधिवक्ता शिव कुमार ने बताया कि शुरुआत में 2 लाख रुपये मांगे गए थे, लेकिन बाद में 50,000 रुपये में सौदा तय हुआ। इसी रकम का 5,000 रुपये देते समय क्लर्क को रंगे हाथों पकड़ लिया गया। शिव कुमार ने कहा, “चार साल तक परेशान होने के बाद मैंने मजबूरी में रिश्वत देने का नाटक किया और एंटी करप्शन विभाग से संपर्क किया। विभाग ने कार्रवाई करते हुए क्लर्क को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार कर लिया।”
इस मामले ने वाराणसी विकास प्राधिकरण के कामकाज और उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अधिवक्ता का आरोप है कि अधिकारी और क्लर्क मिलकर लोगों को परेशान करते हैं और काम के बदले रिश्वत की मांग करते हैं।