राधेश्याम सिंह / विरार
वसई-विरार और पुणे महानगरपालिका क्षेत्र में हाल ही में गुलियन बैरे सिंड्रोम (GBS) के मामलों में वृद्धि देखी गई है। यह एक गंभीर ऑटोइम्यून विकार है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली परिधीय तंत्रिका पर हमला करती है। इसे लेकर वसई-विरार शहर महानगरपालिका ने नागरिकों से सतर्क रहने और सावधानी बरतने की अपील की है। जीबीएस एक दुर्लभ बीमारी है, जो सीधे संक्रामक नहीं होती, लेकिन कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी नामक बैक्टीरिया के कारण हो सकती है। यह बैक्टीरिया दूषित भोजन, अधपका मांस या अशुद्ध पानी के सेवन से फैल सकता है। इसके लक्षणों में डायरिया, मांसपेशियों में कमजोरी, हाथ-पैरों में झनझनाहट और अर्धांग पक्षाघात का खतरा शामिल है। वसई विरार मनपा के आयुक्त अनिलकुमार पवार की अध्यक्षता में बैठक आयोजित कर इस बीमारी की रोकथाम और उपचार के लिए विशेष कदम उठाए गए। महानगरपालिका के सभी अस्पतालों में GBS मरीजों के लिए ICU की व्यवस्था की गई है, इलाज के लिए विशेष बेड आरक्षित किए गए हैं और आवश्यक इंजेक्शन (IVIG) की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। महानगरपालिका की स्वास्थ्य टीम हाई-रिस्क क्षेत्रों में सर्वेक्षण कर रही है और जनजागृति अभियान चला रही है। अस्पतालों में आने वाले मरीजों की जीबीएस की प्राथमिक जांच की जा रही है। नागरिकों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए विशेष व्यवस्था की गई है और दूषित पानी की नियमित जांच की जा रही है। भोजन और औषधि प्रशासन (FDA) को होटल, फूड स्टॉल और मांस-मछली विक्रेताओं पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं।
वसई-विरार महानगरपालिका के आरोग्य विभाग ने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी है। लोगों से अपील की है कि वे पानी उबालकर पिएं, दूषित भोजन से बचें और साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। यदि किसी को जीबीएस के लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत नजदीकी महानगरपालिका अस्पताल या स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करें। महानगरपालिका का वैद्यकीय आरोग्य विभाग इस बीमारी से बचाव और नागरिकों की सुरक्षा के लिए लगातार काम कर रहा है। सरकार के निर्देशानुसार और कड़े कदम उठाए जाएंगे, ताकि इस बीमारी को फैलने से रोका जा सके।