राधेश्याम सिंह / विरार
वसई-विरार महानगरपालिका प्रतिदिन मच्छर-रोधी दवा के छिड़काव पर प्रतिदिन ९ लाख ३१ हजार रुपए खर्च करती है। इसके बावजूद मनपा क्षेत्र के नागरिक मच्छरों के प्रकोप से परेशान हैं और मलेरिया के शिकार हो रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मच्छरों के खात्मे के लिए प्रतिदिन ९ लाख ३१ हजार रुपए खर्च करने के बावजूद मच्छरों की समस्या जस की तस बनी हुई है। इतना पैसा कहां जाता है? ऐसा सवाल नागरिक कर रहे हैं। नाले गंदगी और कचरे से भरे होने कारण मच्छरों का प्रकोप है। वर्ष २०२४ में यह ठेका ३४ करोड़ रुपए का है, यानी दवा का छिड़काव करने के लिए प्रतिदिन का खर्च ९ लाख ३१ हजार रुपए खर्च होने के बावजूद मच्छरों का खात्मा नहीं हो पा रहा है। इसमें कीटनाशक शुल्क १६ करोड़ ५० लाख ७३ हजार रुपए, मैनपावर शुल्क १४ करोड़ ४९ लाख ६ हजार रुपए और र्इंधन लागत ३ करोड़ २ लाख ३४ हजार रुपए है।
नागरिकों का आरोप है कि दवा का छिड़काव नियमित नहीं होने से शहर में मच्छरों की संख्या बढ़ रही है। मच्छर उन्मूलन अभियान योजना में कमी और प्रशासन की उदासीनता वसई-विरार में मच्छरों के प्रकोप को बढ़ा रहा है। इसलिए नागरिकों ने संबंधित ठेकेदार की जांच कर उसे काली सूची में शामिल करने की मांग की है।
बरसात के मौसम के बाद मच्छरों का प्रजनन काल होता है। मनपा उपायुक्त ने कहा है कि इस महीने में मच्छरों की समस्या बढ़ रही है। मनपा ने मच्छरों के प्रकोप को कम करने के लिए गटरों की सफाई, टूटे हुए ढक्कनों को बदलने, नालियां बनाने और झाड़ियां हटाने का काम शुरू कर दिया है। इसके लिए नए उपकरण का उपयोग कर शहर में नियमित रूप से दवा का छिड़काव कराया जा रहा है।
नानासाहेब कामठे , मनपा उपायुक्त (घनकचरा)