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महायुति सरकार में हिंसा आउट ऑफ कंट्रोल … देश में दंगा के मामले में पहले स्थान पर महाराष्ट्र! …मौजूदा शासन में दर्ज हुए हैं ८,२१८ मामले

-दंगा रोकने में पुलिस हो रही नाकाम
महायुति सरकार में महाराष्ट्र की कानून व्यवस्था तार-तार हो रही है। महिलाओं और बच्चियों पर जहां एक तरफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं, वहीं महायुति सरकार में हिंसा भड़क रही है, जिसे कंट्रोल करने में कहीं न कहीं पुलिस नाकाम हो रही है। इस शासन में दंगा के अब तक कुल ८,२१८ मामले दर्ज हुए हैं। इस समय राज्य में चर्चा में बनी नागपुर हिंसा सरकार पर कालिख पोत रही है। आंकड़ों के आधार पर बताया गया है कि दंगा के मामले में महाराष्ट्र पहले स्थान पर पहुंच गया है।

महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त!
नागपुर दंगे ने महायुति सरकार के मुंह पर पोती कालिख

महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ चुकी है, इसमें बीड का मामला काफी समय से सुर्खियों में है। इसमें मंत्री धनंजय मुंडे को अपने पद से इस्तीफा तक देना पड़ा है। कुल मिलाकर अपराधियों में शासन, प्रशासन और पुलिस बल का भय पूरी तरह से खत्म हो चुका है।
आलम यह है कि मंत्रालय और मंत्रियों के सरकारी आवासों में बिना रोक-टोक के आपराधिक पृष्ठभूमि वालों को एंट्री मिल रही है। इसे लेकर विपक्षी दलों के नेता लगातार महायुति सरकार पर हमलों की बौछार कर रहे हैं। इसके साथ ही विपक्ष पहले से ही कहते आ रहा है कि राज्य में दंगे भड़काने की कोशिश की जा रही है। यह संभावना सच साबित हुई और हाल ही नागपुर में दंगा भड़क उठा। इसमें दंगाइयों ने न केवल संपत्तियों को क्षति पहुंचाई और आगजनी की, बल्कि पुलिस अधिकारियों पर भी हमले किए। इतना ही नहीं, महिला पुलिसकर्मी से छेड़छाड़ भी किए गए। इस घटना ने महायुति सरकार पर कालिख पोतने का काम किया है।
हिंसा रोकने में फेल रही सरकार
समर्थन बजटीय अध्ययन केंद्र द्वारा दिए गए आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में अब तक दंगा के कुल ८,२१८ मामले दर्ज किए गए। इसके साथ ही दंगा के मामलों में महाराष्ट्र पहले पायदान पर पहुंच गया है। इसके बाद बिहार में ४,७३६, उत्तर प्रदेश में ४,४७८, कर्नाटक में ४,१५२ और हरियाणा में २,३७३ दंगा के मामले भड़के हैं। हिंसा के मामले में महाराष्ट्र के देश में पहले स्थान पर आने से महायुति सरकार के गृह विभाग पर उंगलियां उठने लगी हैं। साथ ही इससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार हिंसा रोकने में फेल हो रही है। हिंसा और अन्य अपराधों को रोकने की जिम्मेदारी पुलिस पर होती है। हालांकि, राज्य की कुल आबादी १२.८३ करोड़ है। इस आबादी की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य के महज एक लाख ९८ हजार ८७० पुलिस वालों के कंधों पर है। इस तरह एक लाख जनसंख्या के पीछे १७२ पुलिसवाले कार्यरत हैं। वहीं महिला पुलिसकर्मियों की संख्या ३६,००९ है, जो १८.११ फीसदी है। इससे पुलिसवालों पर तनाव बढ़ रहा है।

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