नारी सम्मान पर बहुत हो गई चर्चा
पूरा सच धरातल पर नहीं दिखता।
माना मिल गए अपनी क्षमता
दिखाने के अनगिनत मंच
नारी ने नहीं किया निराश
स्थापित कर दिए कई कीर्तिमान।
उस नारी का है कितना सम्मान
जिसको भाग्य में मिल गया हो
अल्प आयु में वैधव्य का श्राप
जिसे अपने परिवार से न मिलते हो
प्यार, साथ और अधिकार।
पारिवारिक-धार्मिक कार्यों से
क्यों कर दिया जाता दूर।
नहीं लगा सकती माथे पर बिंदी
पैरों में महावर, हाथों में मेहंदी
कांच की चूड़ी, बालों में वेणी।
व्रत, अनुष्ठान से कर दी जाती दूर
क्या विधवा हो जाना है
उसका अपना कसूर।
जीते जी जीवन से रंग,
महक छीन लिए जाते।
ऐसा ही होता क्या उस पुरुष से व्यवहार
जिसका पत्नी की मृत्यु से छूट जाता साथ।
पत्नी मत्यु के उपरांत
झटपट आ जाता नया रिश्ता।
छोटी आयु और कंवारा रिश्ता
अधेड़ पुरुष भी जल्दी पा जाता।
नहीं दूर तक चलती जर-जर नांव
चाहे कितनी भी मज़बूत हो पतवार।
मरहम संवेदना से भरते नहीं घाव
नारी सुनो, तुम्हें ही उठानी होगी आवाज।
अन्याय अब और न सहना होगा
जीते जी अब न मरना होगा।
-बेला विरदी