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चार वर्षों में बढ़े जलजनित रोग! …रोजाना ११ मरीज पड़ रहे बीमार, कई कारण हैं जिम्मेदार

सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र में पिछले चार सालों में जलजनित बीमारियों में बेतहाशा इजाफा हुआ है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति बीते साल में दिखाई दी। स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुहैया कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, बीते वर्ष राज्य में कुल ३,९९१ लोग जलजनित बीमारियों के शिकार हुए हैं, जबकि १५ की जान चली गई है। इन आंकड़ों से स्पष्ट हुआ है कि रोजाना ११ मरीज बीमार पड़ रहे हैं। इसे लेकर चिकित्सकों का कहना है कि जलजनित रोगों के बढ़ने के पीछे लंबे समय तक हुई बारिश, अस्वच्छता और पेयजल में अशुद्धता जिम्मेदार है।
राज्य स्वास्थ्य विभाग के पास उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले वर्षों की तुलना में जलजनित रोगों के मामलों में तेजी से वृद्धि हुई है। वर्ष २०२१ में जलजनित बीमारियों के १,६२२, साल २०२२ में ३,७९२ और साल २०२३ में १,२९३ मामले सामने आए थे। इस साल संख्या में उछाल आया, जिसमें डायरिया के १,४७४ मामले सामने आए। इससे छह लोगों की मौत हो गई। कालरा के १,०२८ मामलों में चार लोगों की मौत हो गई। गैस्ट्रोएंटेराइटिस के ६६९ मामलों में चार लोगों की मौत हो गई। इसी तरह ज्वाइंडिस के ८२० मामलों में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
पानी में मिल रहे हैं बैक्टीरिया
स्वास्थ्य अधिकारियों ने ग्रामीण क्षेत्रों को विशेष रूप से असुरक्षित माना है, क्योंकि वे खुले कुओं और खराब रख-रखाव वाले जल स्रोतों पर निर्भर हैं। स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में बारिश का पानी जमीन में रिसता है और खुले कुओं को दूषित करता है। अगर इन कुओं की नियमित सफाई नहीं की जाती है तो गंदगी, कीड़े और बैक्टीरिया जैसे प्रदूषक पानी में मिल जाते हैं, जिससे बीमारियां पैâलती हैं। इस साल लंबे समय तक और तीव्र बारिश ने स्थिति को और खराब कर दिया, जिससे स्वच्छ जल आपूर्ति सुनिश्चित करना मुश्किल हो गया है।

शहरी क्षेत्र भी संकट से नहीं हैं अछूते
चिकित्सकों के मुताबिक, शहरी क्षेत्र भी इस संकट से अछूते नहीं रहे हैं। कई निवासी, खासतौर पर प्रवासी भोजन के लिए सड़क किनारे के खाने-पीने के स्थानों और खाद्य विक्रेताओं पर निर्भर हैं, जो इस तरह की बीमारियों को बढ़ावा देती है। ऐसे में मनपा को पानी की जांच करने के साथ ही सार्वजनिक स्थानों पर परोसे जानेवाले भोजन और पानी की स्वच्छता की निगरानी करने के लिए लगातार कदम उठाने की जरूरत है। सरकारी स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी जल सुरक्षा प्रबंधन में खामियों के बारे में चिंता जता रहे हैं, इसका मूल कारण बुनियादी ढांचे और निरंतर निगरानी की कमी है।

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