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पानी-पानी… बच के रहना रे बाबा…

दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में इन दिनों बारिश कहर बनकर बरस रही है। भारत में भी नदियां विकराल रूप लेकर बह रही हैं। जापान, चीन, अमेरिका भी मूसलाधार बारिश की भयंकर चपेट में है। भारत के अनेक राज्य इस वक्त बारिश से बेहाल हैं। मूसलाधार बारिश ने सड़कों को नदियों में तब्दील कर दिया है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भूस्खलन की वजह से यातायात बाधित हो गया है। दिल्ली, नोएडा, मुंबई जैसे शहरों में हर तरफ पानी ही पानी नजर आ रहा है। मुंबई-पुणे समेत पूरे महाराष्ट्र में बाढ़ जैसे हालात हैं। नदियां उफान पर हैं। बांधों में भी पानी का स्तर बढ़ गया है। कई जिलों में स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। रेल सेवा प्रभावित है। सेना और एनडीआरएफ की टीमें लोगों को रेस्क्यू करने में लगी हैं। ऐसे हालत में भी पर्यटकों का उत्साह कम नहीं होता है। उल्टे बारिश में भीगने और पानी का मजा लेने के लिए लोग विभिन्न पर्यटन स्थलों पर उमड़ते जा रहे हैं। कई जगह लोगों को तेज धारा में बहने और हाताहत होने की खबरें मिल रही हैं।
मुझे याद आता है, जब पानी के तेज भाव से अपनी जान बचाकर मैं निकली थी। अपनी जान बचाने के बाद मुझे यह एहसास हुआ कि एक छोटी सी गलती हमारी जान पर आ सकती है। हम माथेरान गए थे। मेरे मन में वहां जाने की पहले से तीव्र इच्छा थी। पानी का झरना जो पहाड़ों से गिरता है, वह जिस मूल जगह से गिरता है, वहां पहुंचकर फोटो खिंचवाई जाए। मेरा यह उत्साह मुझे पहाड़ की ऊंचाइयों पर ले गया। पानी का तेज बहाव था और मैं किनारे-किनारे उस छोर तक जाना चाह रही थी। मैंने वहां खतरे का बोर्ड भी देखा, लेकिन कुछ लोग आगे बढ़ रहे थे तो मैंने भी हिम्मत की और आगे बढ़ गई। आगे जाने पर मैं एक बार फिसल भी गई। संभलकर मैं आगे बढ़ीr, फिर मैंने चट्टानों पर बैठकर फोटो खिंचवाया। मेरे बच्चों ने फोटो लिया तो मम्मी वहां दूर से चिल्लाई। उनके चिल्लाने पर हम तुरंत वापस तो आ गए, तभी वहां तेज धार आई। संभव था कि हम वहां ठहरे होते तो बच भी नहीं सकते थे। मम्मी की पुकार से हम लौट आए और बच गए। अब जब मैं कई लोगों के फिसलनभरे पानी में लापता होने की खबरें सुनती हूं तो मेरा दिल कांप उठता है। अपनी गलती का बार-बार अहसास होता है। इसी तरह एक बार हम बनारस में गंगा स्नान करने पहुंचे थे। वहां हम नहा रहे थे, तभी मैंने अपने छोटे से बेटे को पानी में उतारा, ताकि वह भी गंगा स्नान करके शुद्ध हो जाए, लेकिन फिर मम्मी पीछे से चिल्लाई। हम बाहर आ गए। अक्सर गंगा नदी में नीचे घुमावदार बहाव होती है, जो लोगों को अपने भीतर खींच लेती है। कई बार किनारे की कीचड़ में धंसकर भी लोग मौत का शिकार बन जाते हैं, तभी तो बड़े-बुजुर्ग कहा करते हैं कि आग और पानी से कभी खिलवाड़ नहीं करनी चाहिए, उनसे दूर ही रहना चाहिए।
आजकल मोबाइल वैâमरे में भी लोगों को सेल्फी लेने और फोटो खींचने, रील बनाने का खूब शौक है। अचानक पानी का तेज बहाव आने पर वे फंस भी जाते हैं। मानसून के इस मौसम में अगर आप पर्यटन स्थल पर जा रहे हैं तो पानी वाले स्थानों से दूर रहें, क्योंकि ऐसी जगहों पर फिसलन होती है। साथ ही पहाड़ों से पत्थर भी टूटकर गिर सकते हैं। मैंने और परिवार ने समझ लिया है कि समुद्रों की ऊंची लहरों, झरनों की फुहारों, जलाशयों की शीतलता आदि के मजे के साथ जान को जोखिम में डालने से हमेशा बचना और सतर्क रहना जरूरी है। आप भी इसे समझें और सबको समझाएं।

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