मुख्यपृष्ठनए समाचारहम भारत की नारी हैं, फूल नहीं चिंगारी हैं-पद्मश्री छुटनी देवी

हम भारत की नारी हैं, फूल नहीं चिंगारी हैं-पद्मश्री छुटनी देवी

अनिल मिश्र / रांची

अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना नयी दिल्ली एवं झारखंड के रांची विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग ने मिलकर ‘इतिहास लेखन में महिला विमर्श’ विषय पर दो दिवसीय महिला इतिहासकार संगोष्ठी का आयोजन किया। संगोष्ठी का कल रविवार को समापन हो गया। इस संगोष्ठी में देश भर से आयी महिला शोधार्थियों ने 145 प्रपत्र प्रस्तुत किये। संगोष्ठी के दूसरे दिन 4 सत्रों में कुल 80 शोध पत्र प्रस्तुत किये गये। समापन समारोह में बतौर मुख्य अतिथि रहे पद्मश्री छुटनी देवी ने कहा कि हम भारत की नारी हैं, फूल नहीं चिंगारी हैं। उन्होंने कहा कि महिला और पुरुष एक समान हैं। दोनों एक-दूसरे से कम नहीं हैं और दोनों का महत्व है। उन्होंने झारखंड सहित पूरे देश में डायन प्रथा की रोकथाम के लिए महिलाओं से आगे आने के लिए अपील किया। उन्होंने कहा कि संपत्ति हड़पने के लिए महिलाओं को डायन बताकर मार डालते हैं।

आये दिन डायन के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित कर उनकी हत्या होती रहती हैं। विधवा, निःसहाय महिला व वृद्धा की संपत्ति हड़पने, साजिश के तहत महिलाओं को प्रताड़ित करने या उसकी हत्या करने में इस कुप्रथा का सहारा लिया जाता है।डायन प्रथा के खिलाफ कानून बनने और जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी न तो प्रताड़ना में कमी आयी है, न ही ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग पाया है। कुछ लोग संपत्ति हड़पने के लिए महिलाओं को डायन बताकर मार डालते हैं।

आये दिन डायन के नाम पर महिलाओं को प्रताड़ित कर उनकी हत्या होती रहती है। विधवा, निःसहाय महिला व वृद्धा की संपत्ति हड़पने, साजिश के तहत महिलाओं को प्रताड़ित करने या उसकी हत्या करने में इस कुप्रथा का सहारा लिया जाता है। डायन प्रथा के खिलाफ कानून बनने और जागरूकता अभियान चलाने के बाद भी न तो प्रताड़ना में कमी आयी है, न ही ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग पाया है। वहीं अविभाजित बिहार से ही वर्तमान में झारखंड और बिहार में डायन प्रथा के कारण प्रत्येक दिन महिलाओं को प्रताड़ित करने के साथ-साथ मानव के मल मूत्र खिलाने की परिपाटी चल रही है। जिसके कारण आये दिन इस तरह की घटनाएं समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं। लेकिन इस मामले में बहुत कमी नहीं आई है।

इसी को लेकर रांची स्थित डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय शोध संस्थान, (मोरहाबादी, रांची) ने डायन प्रथा पर शोध करने की तैयारी कर लिया है।इस संस्थान द्वारा शोध का विषय ‘किस तरह डायन प्रथा की वजह से आदिवासी समाज का सामाजिक और आर्थिक तानाबाना बिखर रहा है’ होगा। झारखंड सरकार से शोध की स्वीकृति मिल गयी है। इसके बाद आने वाले समय ही बताएगा कि इस प्रथा का समूल नाश कब होता है।या झारखंड और बिहार में इसी तरह प्रताड़ित होते रहेंगी।

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