बीजेपी उम्मीदवारों के चुनावी अभियान पर अन्नदाताओं ने लगाया ब्रेक
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
इन दिनों देश में भाजपा विरोधी माहौल बनता जा रहा है। जहां एक ओर देश के राजपूतों ने मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, वहीं दूसरी ओर देश के अन्नदाताओं ने भी अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन के दौरान अन्नदाताओं के साथ हुए दुर्व्यवहार को समूचे हिंदुस्थान ने देखा। अब उसी दुर्व्यवहार का खामियाजा भाजपा को इस लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। दरअसल, लोकसभा चुनाव से पहले किसानों के तेवर ने भारतीय जनता पार्टी को एक बार फिर सकते में डाल दिया है। यही वजह है कि अन्नदाताओं ने बीजेपी उम्मीदवारों के चुनावी अभियान पर ब्रेक लगा दिया है।
किसानों ने भाजपा को सीधे आह्वान करते हुए कहा है कि भाजपा ने हमें दिल्ली में जाने से रोका था, अब हम उन्हें अपने गांव में घुसने नहीं देंगे।
हरियाणा और पंजाब राज्यों के कुछ गांवों में बीजेपी नेताओं को विरोध का सामना करना पड़ रहा है। पिछले कुछ दिनों से बीजेपी उम्मीदवारों के चुनावी अभियान पर स्थानीय लोगों और किसानों ने ब्रेक लगा रखा है। भाजपा के उम्मीदवारों को किसानों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ रहा है। इसकी हालिया झलक तब देखने को मिली जब सूफी गायक और भाजपा प्रत्याशी हंस राज हंस फरीदकोट में अपना पहला रोड शो निकाल रहे थे। उस दौरान किसानों ने `वापस जाओ’ के नारों के साथ बीजेपी नेताओं की जमकर फजीहत की। गायक को एक दिन बाद मोगा शहर में भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) के विरोध का सामना करना पड़ा। भाजपा प्रत्याशी अशोक तंवर के लिए प्रचार कर रहे हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी को भी किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा।
बीजेपी को सबक सिखाने का समय
पगड़ी संभल जट्टा किसान संघर्ष समिति के नेता मंदीप नथवान ने किसानों और मजदूरों के `जीवन को बर्बाद करने’ के लिए केंद्र और हरियाणा की बीजेपी सरकार को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, ‘हरियाणा पुलिस ने किसानों पर बल प्रयोग तब किया, जब वे कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की ओर मार्च कर रहे थे। बीजेपी नेताओं ने हमें आतंकवादी, खालिस्तानी कहा। उन्हें सबक सिखाने का समय आ गया हैं।’