-केंद्रों पर नहीं होती कोई व्यवस्था
-समय पर नहीं होता कोई काम
-आम जन को होती है परेशानी
संदीप पांडेय
आधार कार्ड भारत में रहने वाले नागरिकों के लिए आवश्यक पहचान पत्र में शामिल है। साल २०१२ में भारत के प्रत्येक नागरिक को एक विशेष पहचान पत्र देने के उद्देश्य से आधार कार्ड का कानून बनाकर आधार कार्ड बनाने का काम मौजूदा केंद्र सरकार ने शुरू किया था, लेकिन आधार सेंटरों की व्यवस्था को देखते हुए यही लगता है कि आधार सेंटर बिना आधार के ही चल रहे हैं। कई आधार सेंटरों पर कोई व्यवस्था नहीं होती है, न तो लोगों के बैठने की सुविधा होती है और न ही छांव होती है। कई जगहों पर तो लोग कड़ी धूप में ही खड़े होकर अपने नंबर आने का इंतजार करते हुए दिखाई देते हैं। इसके अलावा यहां समय पर भी कोई काम नहीं होता है। इन्हीं सब कुव्यवस्थाओं के चलते आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
होती है समय की बर्बादी
ज्यादातर बैंकों और पोस्ट ऑफिस में प्रतिदिन सिर्फ दस से बीस लोगों का ही आधार कार्ड से संबंधित काम होता है और उसके लिए भी पहले से अपॉइंटमेंट लेना पड़ता है। सभी आधार कार्ड सेंटरों के काम का समय और दिन भी सुनिश्चित नहीं होता है। कुछ जगहों पर सुबह १० बजे से आधार कार्ड का काम चालू हो जाता है तो वहीं कुछ जगहों ११ बजे से। ऐसा भी कई बार होता है कि आधार सेंटर पहुंचने के बाद ही पता चलता है कि सेंटर बंद है, इससे समय की बर्बादी होती है।
नहीं मिलता संतोषजनक उत्तर
ज्यादातर पोस्ट ऑफिस और बैंकों में सप्ताह के दो या तीन दिन ही आधार से संबंधित काम होता है। आधार कार्ड सेंटर पर कोई भी आधिकारिक व्यक्ति उपलब्ध नहीं होता है जो आपको बता सके कि आधार कार्ड सेंटर क्यों बंद है? शिकायत करने या पूछताछ करने पर लोगों को कभी भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है। आधार कार्ड के लिए हेल्पलाइन नंबर से लेकर सोशल मीडिया सब उपलब्ध है, लेकिन इन सब चीजों का कुछ भी फायदा नहीं होता है।
समय पर नहीं हो पाते जरूरी कार्य
आधार कार्ड सेंटर पर काम करनेवाले कर्मचारी भी परेशान रहते हैं, क्योंकि उन्हें भी पूरी जानकारी नहीं रहती है। एक शख्स ने बताया कि सेवा केंद्र में जो लोग जाते हैं उन्हें जवाब मिलता है कि मशीन खराब हो चुकी है। इस कारण लोगों को मजबूरी में वापस घर लौटना पड़ता है। बैंक संबंधी, दाखिले संबंधी कार्य तथा कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में आधार कार्ड बहुत ही जरूरी दस्तावेज है, लेकिन समय पर आधार कार्ड न बनने के चलते कार्य रुक जाते हैं।
केवल नाम का है मुख्य सेंटर
मुंबई में आधार कार्ड का क्षेत्रीय कार्यालय कफ परेड में महानगर टेलिफोन निगम लिमिटेड के सातवें मंजिले पर स्थित है, लेकिन यहां पर आधार कार्ड नहीं बनता है। यहां पर सिर्फ आधार कार्ड से संबंधित समस्याओं की सिर्फ पूछताछ की जा सकती है। यहां के कर्मचारी भी पूरी जानकारी देने में असमर्थ हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आम आदमी आधार कार्ड से संबंधित अपनी परेशानी को दूर करने जाए तो कहां जाए? आधार कार्ड का हेल्पलाइन नंबर १९४७ हो या ईमेल आईडी पत्ज्ॅल्ग््aग्.ुदन्.ग्ह तक पर भी संतोषजनक जवाब नहीं मिल पाता है। अगर आपको कोई भी समस्या आ गई तो आप फिर आधार सेंटर से लेकर क्षेत्रीय कार्यालय तक के सिर्फ चक्कर लगाते रह जाएंगे।
शिकायत करने पर भी नहीं हुआ फायदा
पिछले चार महीने से अपने नाम पर सुधार करने के लिए मैं आधार कार्ड सेंटर का चक्कर लगा रही हूं। तीन बार आधार कार्ड सेंटर बंद मिले और मैंने चार बार अपडेट किया, लेकिन एक बार भी नहीं हुआ। क्षेत्रीय कार्यालय से लेकर ईमेल और १९४७ नंबर पर शिकायत भी की, लेकिन कुछ भी फायदा नहीं हुआ।
-सृष्टि चौरसिया, नालासोपारा
पोस्ट ऑफिस जाकर हुआ परेशान
मुझे अपने बच्चे का आधार कार्ड अपडेट कराना था। मैं अपने पास के पोस्ट ऑफिस में जाकर परेशान हो गया, इसलिए मुझे दादर जाकर एचडीएफसी बैंक में अपडेट कराना पड़ा।
-विलास पाष्टे, बोरिवली
लापरवाही करनेवाले कर्मचारियों को मिले सजा
जिस प्रकार सरकार आधार कार्ड धारक को आधार बनवाते समय गलत जानकारी देने या आधार के इस्तेमाल में फर्जीवाड़ा करने को अपराध मानती है, ठीक उसी तरह यह प्रावधान उन कर्मचारियों के लिए भी होने चाहिए जो अपनी ड्यूटी सही से नहीं करते हैं। जब जनता के लिए आपराधिक सजा होती है तो लापरवाही करने वाले कर्मचारियों के लिए क्यों नहीं है?
-मुकेश चौबे, मुंबई
जब व्यवस्था सही नहीं तो वैâसे कराएं अपडेट
आधार कार्ड सेंटरों पर व्यवस्था के नाम पर सिर्फ दिखावा होता है। वहां कर्मचारियों का सहयोग नहीं मिलता है। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) की ओर से आधार कार्ड में प्रâी में अपडेट करने की समयसीमा १४ जून २०२४ निर्धारित की गई है। पर लगता नहीं कि सेंटर में उन्हें सहयोग मिलेगा। सरकार चाहे तो घर-घर भेजकर भी सहयोग कर सकती हैं।
-ध्रुव मिश्रा, मुंबई
आधार हो सुरक्षित
आधार कार्ड को सुरक्षित करना बेहद जरूरी है, जिससे अगर यह किसी के हाथ लग भी गया तो उसका गलत इस्तेमाल न हो सके। जानकारी के अभाव में भोले-भाले लोग ठगी के शिकार बन जाते हैं। यही कारण है कि लगातार ऐसी घटनाओं की भरमार हो गई है। भरोसा किस पर करें? जानकारी न दें तो काम नहीं होता, दे दें तो डर बन जाता है कि कहीं दुरुपयोग न हो। इस पर भी ध्यान देना चाहिए।
-अनिल शर्मा, भिवंडी