-राज ईश्वरी
फ्रांस की एक अदालत उस समय भौंचक रह गई, जब पिछले सितंबर को बलात्कार का एक ऐसा खौफनाक मामला सामने आया, जिसमें पीड़िता के पूर्व पति ने ५० से अधिक पुरुषों से उसका बलात्कार करवाया था, उसे बेहोशी की दवा देने के बाद। दस वर्षों तक। अदालत को इस मामले में दूसरा झटका उस वक्त लगा जब विक्टिम गिजेल पेलिको ने टकराव का खुला रुख अपनाया। उन्होंने अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले को अन्य बलात्कार मामलों की तरह बंद दरवाजों के पीछे नहीं बल्कि सार्वजनिक रूप से चलाया जाए। उन्होंने अपनी पहचान नहीं छिपाई। उसने दुनिया को वह सब देखने की भी अनुमति दी, जो दुष्कर्म बेहोशी की हालत उसके पति ने उसके साथ किया था। गवाही खुले आम आयोजित की गई। उन्होंने न केवल अपने शरीर की नुमाइश की पर्देदारी के उल्लंघन का सामना किया, बल्कि अपनी आत्मा के संभावित कुचले जाने का भी साहस और धैर्य के साथ सामना किया।
उसके पूर्व पति डोमिनिक पेलिको ने अदालत में कुबूल किया कि उसने सालों तक गिजेल पेलिकोट के साथ बलात्कार करने से पहले उन्हें नशीला पदार्थ दिया था और जब वह गहरी नींद में होती थीं, तो उनके साथ दुर्व्यवहार करने के लिए अजनबियों को ऑनलाइन भर्ती किया था। कुल मिलाकर, २० से ७० साल की उम्र के बीच के ५१ लोगों ने उनकी आबरू पर उस वक्त हमला किया था जब वह दवाओं के नशे में होती थी और वे सभी अभियोजकों द्वारा मांगे गए कठोर दंड से बचते हुए, तीन से १५ साल तक की सजा पाकर रह गए। अपराध से जुड़े सबूत, तस्वीरें और फिल्में डोमिनिक पेलिको के कंप्यूटर में रखी हुई थीं। वे तस्वीरें और फिल्में अदालत में दिखाए जाने पर चौंकाने वाले व अविश्वसनीय थे। इस अपराध का खुलासा २०२० में उस समय हुआ जब एक अन्य दुष्कर्म, महिलाओं का अनुचित तरीके से फिल्मांकन करने के मामले में डोमिनिक पेलिको के खिलाफ जांच की जा रही थी।
गिजेल पेलिको की लड़ाई आज दुनियाभर में नारीवादी आंदोलन का केंद्र बिंदु बन गई है। सोशल मीडिया पर `मैडम, आप जीत गई’ जैसे संदेशों की बाढ़ आ गई है। याद कीजिए कुछ वक्त पहले `मी टू’ मूवमेंट ने इंटरनेट पर तूफान ला दिया था। कई महिलाओं ने खुलकर कहानियां बताईं कि कैसे उनकी जिंदगी में आए पुरुषों ने उनका फायदा उठाया। उस समय पुरुष-प्रधान दुनिया के हैरान होने का कारण सार्वजनिक पंचनामा था कि वास्तव में बड़े सफल पुरुषों की औकात क्या है। लेकिन गिजेल पेलिको की लड़ाई उससे भी बहुत आगे तक जाती है, जो आने वाले वक्त में महिलाओं के लिए ध्रुव तारा बन जाएगा। कोर्ट के फैसले के बाद इस ७२ वर्षीय महिला के बयान पर गौर करिए। गिजेल ने कहा, `यह दुर्भाग्य अकेले मेरा नहीं है। मैं उन हजारों, लाखों महिलाओं को बताना चाहती थी कि आप अकेली नहीं हैं। मुझे कभी भी अपने फैसले पर पछतावा नहीं हुआ, क्योंकि मुझे शर्मिंदा होने की कोई जरूरत नहीं थी। ऐसा करने वालों को शर्म आनी चाहिए। जिन्होंने घृणित कार्य किया।’ गिजेल पेलिको का `हमें नहीं, बल्कि उन्हें शर्म महसूस करनी चाहिए’ सरीखा साहस भरा वक्तव्य खूब चर्चित हुआ। पूरे फ्रांस और दुनिया भर में लोगों ने तीन महीने से ज्यादा समय तक चले इस मुकदमे पर नजर बनाए रखी और महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों के लिए कानून में बदलाव और सामाजिक धारणाओं व विषाक्त पितृसत्तात्मक व्यवहार को खत्म करने की मांग के साथ सड़कों पर मार्च किया और प्रदर्शन किए।
गिजेल पेलिको का कहना है कि उन्होंने अपनी बेटियों और पोते-पोतियों के साथ-साथ `उन अनजान पीड़ितों की लड़ाई की अगुवाई की है, जिनकी कहानियां अक्सर दबी रह जाती हैं।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि मुकदमे का रास्ता खुलने से और उनके दर्दनाक अनुभवों के बावजूद, `समाज इस मसले पर होने वाली बहसों को सही दिशा दे सकेगा।’ उनके मामले ने दुर्व्यवहार और उसके नतीजे पर तीखी बहस छेड़ दी है। फ्रांसीसी कानून के तहत, बलात्कार के लिए अधिकतम सजा २० साल है और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसी का जीवन बर्बाद करने वाले इस अपराध के लिए यह सजा पर्याप्त नहीं है। अधिकांश मामलों में, यौन शोषण एवं बलात्कार की शिकायतों की रिपोर्ट नहीं की जाती और उन पर मुकदमा नहीं चलाया जाता। प्रâांस एकमात्र उल्लंघनकर्ता नहीं है। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा सबसे प्रचलित मानवाधिकार उल्लंघनों में से एक है और विश्व स्तर पर, अनुमानित ७३६ मिलियन (७० करोड़ से अधिक) महिलाओं ने शारीरिक और/या यौन हिंसा का अनुभव किया है। गिजेल पेलिको ने आशा और विश्वास जताया कि समाज ‘सामूहिक रूप से एक ऐसे भविष्य को हासिल करेगा, जिसमें प्रत्येक महिला और पुरुष सम्मान एवं आपसी समझ के साथ रह सकें।’ लेकिन सबसे पहले, उनकी बातों पर ध्यान दिया जाना चाहिए और बलात्कार के आरोपों को कभी भी महत्वहीन नहीं बनाया जाना चाहिए। उन्होंने बलात्कार को लेकर बरती जाने वाली चुप्पी और ओढ़े जाने वाले शर्म को तोड़ने में मदद की है। यौन शोषण से जुड़े कलंक को खत्म करने एवं दंड सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी समाज व कानून-निर्माताओं की है।
गिजेल की लड़ाई को अगर हम नारीत्व की लड़ाई का एक अलग संस्करण का नाम न दें यह उनके साहस का अपमान होगा। इतना सब कुछ होने के बाद भी गिजेल पेलिको का इंसानियत पर भरोसा बनाए रखना हैरत की बात है। देखिए वह कितनी संजीदगी से और उदारता से अपनी बात रखती हैं। वह कहती हैं,’ `एक पुरुष और एक महिला को सद्भाव से रहना चाहिए। उन्हें चाहिए वे एक-दूसरे का समर्थन करें। प्यार करें। भरोसा एक रिश्ते की नींव है। इसे टूटने न दें। भरोसा करें, यह रिश्ता बहुत दुर्लभ है… ‘
और अंत में
विलेन यानी खलनायकों की एक छवि आमतौर पर हमारे जेहन में चस्पा होती है। हालांकि पेलिको और उसका गिरोह आम जिंदगी गुजारने वाले पुरुष हैं। लेकिन, उनकी आपराधिकता और विकृति की गहराई न केवल पुरुष दृष्टि और इच्छा की समस्याग्रस्त प्रकृति के बारे में सवाल उठाती है, बल्कि यह भी बताती है कि बुराई अक्सर सांसारिकता की आड़ में छिपी होती है।