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क्या है ड्रैगन का मंसूबा? …हरकतों से बाज नहीं आ रहा चीन

-एलएसी के पास की मिलिट्री ड्रिल
-लद्दाख में बढ़ेगा भारत का टेंशन

सामना संवाददाता / नई दिल्ली
चीन इन दिनों भारत से लगी सीमा पर अपने सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर को तेजी से मजबूत कर रहा है। हाल में ही आई एक सैटेलाइट तस्वीर के अनुसार, चीन अक्साई चिन से सटे अपने दो नागरिक हवाई अड्डों को एयरबेस में बदल रहा है। इसके लिए इन दोनों हवाई अड्डों पर री-डेवलपमेंट का काम तेजी से किया जा रहा है। इसमें नई हवाई पट्टी बनाने के साथ ही, लड़ाकू और सैन्य ट्रांसपोर्ट विमानों को संभालने के लिए ब्लास्ट प्रूफ हैंगर और बंकरों का निर्माण किया जा रहा है। ऐसी आशंका है कि इन दोनों हवाई अड्डों का इस्तेमाल भारत के खिलाफ सैन्य अभियानों में किया जा सकता है।
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस की एक्स पर पोस्ट के अनुसार, ‘ऐसा प्रतीत होता है कि चीन अक्साई चिन के उत्तर में अपने दो नागरिक हवाई अड्डों का पुनर्विकास कर रहा है। इस कदम से शिनजियांग प्रांत के होटन एयरबेस पर परिचालन संबंधी बोझ कम हो सकता है, जो वर्तमान में भारत के सामने चीन का प्राथमिक सैन्य हवाई अड्डा है। इससे पीएलए की युद्धकालीन विमान तैनाती और फैलाव क्षमता में सुधार होगा। इस पोस्ट में एक सैटेलाइट तस्वीर को भी शेयर किया गया है।
होटन में जे-२० स्टील्थ विमानों को भी किया तैनात
अभी तक भारत से लगी सीमा पर चीन का सबसे बड़ा एयरबेस होटन में है। चीन ने होटन में जे-२० स्टील्थ विमानों को भी तैनात किया हुआ है। हालांकि, चीन को ऐसी आशंका है कि संघर्ष के समय भारत होटन को सीधे निशाना बनाकर उसकी हवाई शक्ति को कुंद कर सकता है। ऐसे में वह इस इलाके में अपने अलग-अलग हवाई अड्डों को अपग्रेड कर उसे सैन्य इस्तेमाल के लिए तैयार कर रहा है। युद्ध की स्थिति में ये हवाई अड्डे चीनी लड़ाकू विमानों के लिए बेस के तौर पर काम करेंगे।
यही नहीं देश एक तरफ जहां सेना दिवस की तैयारियों में डूबा हुआ है। दूसरी तरफ चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास कॉम्बैट ड्रिल शुरू कर दी है। चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की शिनजियांग मिलिट्री कमांड के रेजिमेंट की अगुवाई में यह युद्धाभ्यास किया गया। चीन के इस कॉम्बैट ड्रिल में सभी इलाकों में इस्तेमाल लाए जाने वाहनों, मानवरहति सिस्टम और ड्रोन सहित सेना की उन्नत तकनीक का इस्तेमाल किया गया। चीन की ओर से यह कदम ऐसे समय में उठाया जा रहा है, जब भारत और चीन के बीच शांति बनाए रखने की दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसे में भारत को सतर्क बने रहने और लद्दाख में सैन्य आधुनिकीकरण के प्रयासों को आगे बढ़ाने की जरूरत है। भारतीय सेना भी शीतकालीन युद्धाभ्यास कर रही है, बुनियादी ढांचे को उन्नत कर रही है और चीन के किसी भी तरह के संभावित हमले मुकाबला करने के लिए अपने सर्विलांस सिस्टम और मजबूत कर रही है।

सैटेलाइट तस्वीर में क्या दिखा?
सैटेलाइट तस्वीर में युटियन वानपैंâग हवाई अड्डा और शाचे यारकांत हवाई अड्डा पर चीनी निर्माण कार्य को दिखाया गया है। इस हवाई अड्डे पर ३२,००० मीटर लंबा और ४५ मीटर चौड़ा रनवे है। यहां वर्तमान में ३,००० वर्गमीटर का टर्मिनल भवन और चार विमानों की पार्किंग के लिए एप्रन बनाए गए हैं। वहीं शाचे येरकियांग हवाई अड्डा शिनजियांग उइघुर स्वायत्त क्षेत्र के काशगर प्रांत में यारकांत काउंटी में है। इस हवाई अड्डे को २०१४ में खोला गया था।

चीन की इस कॉम्बैट ड्रिल को लेकर सेना चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि जहां तक चीन के साथ सीमा मुद्दे का सवाल है, मैं कहना चाहता हूं कि भारत की सहनशक्ति बहुत ज्यादा है। दोनों देशों के बीच सिलसिलेवार कई बैठकें हुई हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ मीटिंग हुई। कॉर्प्स कमांडर्स और राजनयिक बैठकें भी हुर्इं। दोनों पक्षों के बीच कई मायनों में सहमति बनी है।

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