-६ महीने में २३ बाघ बने शिकार
-ठोस कदम उठाने में मोहन सरकार फेल
सामना संवाददाता / भोपाल
मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट कहा जाता है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि यहां टाइगर ही सुरक्षित नहीं हैं। प्रदेश में पिछले ६ महीने में २३ बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से पिछले ६ महीने में अकेले बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में १२ बाघों की मौत हुई है। इसके अलावा साल २०१२ से २०२२ के बीच यानी पिछले १० साल में एमपी में ६५ बाघों की मौत हुई है। इस तरह बाघों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश नंबर-१ है। राजधानी भोपाल से ३५ किमी दूर चिकलोद के जंगल में रविवार को बाघ का कंकाल मिला है।
जानकारी के अनुसार, वन विभाग को रातापानी टाइगर रिजर्व अभयारण्य में बाघ की लाश पड़ी होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद वन विभाग के दस्ते द्वारा बाघ की लाश खोजने के लिए सर्चिंग शुरू की गई थी।
टाइगर स्टेट कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में बाघों की मौतें की घटनाएं मोहन सरकार पर कई सवाल खड़े कर रही हैं। आए दिन बाघों की मौतों को रोकने में एमपी की भाजपा सरकार पूरी तरह से फेल साबित हुई है। इस मामले को लेकर कांग्रेस ने मोहन सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस का कहना है, `हम बाघों की मौत के मामले में पूरे देश में नंबर वन आ चुके हैं, इसके बावजूद सरकार कोई भी ठोस कदम उठाने में नाकाम साबित हुई है। सरकार की उदासीनता से जहां तस्करों की मौज हो रही है, वहीं वन्य जीवों का जीवन संकट में आ गया है। ऐसे में बाघों की इन मौतों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।