गर्भपात की इजाजत मांगने पर पिता को मुंबई हाई कोर्ट ने लगाई फटकार
सामना संवाददाता / मुंबई
एक ६६ वर्षीय पिता ने अपनी २७ वर्षीय गोद ली हुई बेटी का गर्भपात कराने की इजाजत मांगी है। इसके लिए पिता ने मुंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। न्यायमूर्ति रविंद्र वी. घुगे और न्यायमूर्ति राजेश एस. पाटील की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पिता की परवरिश पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘यह वैâसी परवरिश है? आपने अपनी बेटी को देर रात बाहर क्यों जाने दिया?’
बता दें कि पिता ने कोर्ट से गुहार लगाते हुए बेटी के गर्भपात कराने की अनुमति मांगी है। कोर्ट ने मामले को मुंबई के जे.जे. अस्पताल के मेडिकल बोर्ड को भेज दिया, ताकि गर्भ की स्थिति का आकलन किया जा सके। बता दें कि बेटी २० सप्ताह से अधिक समय की गर्भवती है। महिला ने गर्भपात के लिए सहमति देने से इनकार कर दिया है और बच्चे के पिता की पहचान बताने से भी मना कर दिया है। इस स्थिति में पिता ने अदालत से हस्तक्षेप की मांग की है।
हालांकि, मेडिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट के लिए अधिक समय मांगा, जिसके बाद अदालत ने मामले की अगली सुनवाई ८ जनवरी तक स्थगित कर दी।
छह माह की बच्ची को लिया था गोद
रिपोर्ट के मुताबिक, पिता ने १९९८ में छह महीने की उम्र में लड़की को गोद लिया था। अब उस पिता ने दावा किया है कि उनकी बेटी का बौद्धिक स्तर औसत से कम है। उन्होंने यह भी बताया कि महिला को मानसिक विकार, बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर और अवसाद जैसी समस्याएं हैं।
बचपन से हिंसक है
पिता के अनुसार, उनकी बेटी बचपन से ही हिंसक रही है और उसे नियमित दवाइयों की जरूरत होती है। पिता ने अदालत को बताया कि उनकी बेटी १३-१४ साल की उम्र से ही यौन रूप से सक्रिय यानी सेक्सुअली एक्टिव रही है और अक्सर रात में घर से बाहर रहती है। वह २६ नवंबर को एक नियमित जांच के दौरान ही बेटी की गर्भावस्था के बारे में जान पाए।