सामना संवाददाता / ठाणे
भाजपा द्वारा देश और प्रदेश में नफरत पैâलाने की कोशिश का विज्ञापन सभी समाचार पत्रों में दिया जा रहा है, जिसमें टोपी पहने कुछ मुस्लिम चेहरोें को बताया जा रहा है और इसमें लिखा है ‘एक रहोगे तो सेफ रहोगे’, मैं पूछना चाहता हूं कि इस देश में लोगों को जाति, धर्म के नाम पर किसने बांटा? छुआछूत, ऊंच-नीच का नाम किसने दिया? समाज में भेदभाव का चलन किसने शुरू किया? जरा इतिहास का अध्ययन करें, एक तरफ भाजपा जाति-धर्म के नाम पर आरक्षण खत्म करने का काम कर रही है और समाज को बांटने के बाद आज कह रही है कि बंटोगे तो कटोगे। आज महाराष्ट्र में भाजपा के पैरों तले जमीन खिसकती नजर आ रही है, जिसके चलते उन्होेंने हिंदू और मुसलमानोें को एक-दूसरे के नाम से डराने का यह नया स्टैंड शुरू किया है। ऐसा आरोप मुंब्रा कलवा से एनसीपी (शरदचंद्र पवार) के उम्मीदवार जितेंद्र आव्हाड ने एक पत्रकार परिषद में लगाया।
उन्होंने आगे कहा कि इस राज्य का मुख्यमंत्री होने के बावजूद आपको लगता है कि लोग असुरक्षित हैं तो आप इस्तीफा क्यों नहीं दे देते। इस तरह का विवादित और समाज में जहर घोलने वाला बयान अब तक किसी राज्य के सीएम या किसी पीएम ने नहीं दिया है, जो बीजेपी की ओर से दिया जा रहा। आव्हाड ने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि क्या यह चुनाव हो रहा है या देश व राज्य में हिंदू-मुस्लिम दंगा कराने की योजना चल रही है। मेरा मानना है कि भाजपा और उसके घटक दल चुनाव के नतीजों से डरे हुए हैं इसलिए वे इस तरह के बयान देकर राज्य में एक तरह का धर्म का खौफ दिखाकर माहौल बना रहे हैं और एक समाज को मुसलमानों के प्रति डर दिखा रहे हैं और दूसरी तरफ मुसलमानों में डर पैदा करके इस तरह से वोटों का राजनीतिकरण कर रहे हैं।
वहीं, मुंब्रा के राजनीतिक और चुनावी माहौल को लेकर जितेंद्र आव्हाड ने कहा कि मैं पुलिस से अपील करूंगा कि कौसा के वाई जंक्शन पर और मुंब्रा के रेतीबंदर सर्कल पर कड़ी नाकाबंदी की जाए, क्योंकि बाहर से करोड़ों रुपए मुंब्रा में बांटने के लिए आ रहे हैं, साथ ही बाहर से यहां मतदाताओं और नागरिकों को मारने और डराने के लिए गुंडों को बुलाया जा रहा है।