उमेश गुप्ता / वाराणसी
अपने सामाजिक कर्तव्यों की पूर्ति करते हुए आगमन सामाजिक संस्था उन अजन्मी बेटियों की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष की नवमी पर श्राद्ध – कर्म किया जिनकी हत्या उन्हीं की माँ के कोख में उन लोगो ने ही करा दी गई, जिसे हम सब माता -पिता या परिजन कहते हैं। संस्था का स्पस्ट विचार है कि कोख में मारी गयी उन अभागी बेटियों को जीने का अधिकार तो नहीं मिल सका लेकिन उन्हें मोक्ष तो मिलना ही चाहिए ।
लगातार गर्भ में मारी जा रही अजन्मी अभागी बेटियों की मोक्ष के लिए मोक्ष की नगरी काशी में 11वें वर्ष भी मोक्ष दिलाने हेतु सविधिक श्राद्ध कर्म सम्पन्न हुआ । गंगा तट के दशाश्वमेध घाट पर गर्भ में मारी गयी बेटियों के मोक्ष की कामना लिए हुए “आगमन सामाजिक संस्था ” के द्वारा वैदिक ग्रंथों में वर्णित परम्परा के अनुसार श्राद्ध कर्मऔर जल तर्पण संपन्न कराया। गंगा तट पर मिट्टी के बनी वेदी पर 18 हजार पिंड निर्माण कर मंत्रों से आह्वान कर बारी-बारी मृतक को प्रतीक स्वरूप स्थापित करने के बाद मंत्र के अभिसिंचन से उनके मोक्ष की कामना की गई। पांच वैदिक ब्राह्मणों द्वारा उच्चारित वेद मंत्रों के बीच श्राद्धकर्ता संस्था के संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा ने 18,000 बेटियों का पिंडदान और जल तर्पण के उपरान्त ब्राह्मण भोजन के साथ आयोजन सम्पन्न कराया।
श्राद्धकर्म और जल तर्पण आचार्य दिनेश शंकर दुबे के नेतृत्व में सीताराम पाठक,नितिन गोस्वामी,उमेश तिवारी, बजरंगी पांडेय रहे । पिंड निर्माण कार्य में जादूगर जितेंद्र, किरण, राहुल गुप्ता, साधना, गुड्डो, सन्नी कुमार, हरिकृष्ण प्रेमी, अरुण कुमार गुप्ता, मानस चौरसिया, राजकुमार, ओमप्रकाश, मदन गुप्ता, भानु, सोनी और गोपाल शर्मा रहे। जबकि श्रद्धा सुमन अर्पित करने वालों में काशी सहित देश के पांच राज्य के स्त्री पुरुष रहे।