अतीत की गहराइयों में
जिंदगी के गोपनीय चेहरों को चूम
न जाने कितने सवालों के जवाब पूछे
नश्वर शरीर के नश्वर रिश्ते
जिंदगी भी ख्वाबों के ख्यालों में
कभी पूजा या अनुष्ठान
दान-दक्षिणा से भी संभालना चाहा
मानस पटल पर एक कौतूहल पाया
ऐ खुदा तू है तो दयालु वो रहमत बख्शी
मै इस इंतजार में हूं, जब खुद से मेरी पहचान हो।
-अनुराधा सिंह