मुख्यपृष्ठनए समाचार`पैसा कहां जा रहा है?'...ठोस कचरा प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट का `...

`पैसा कहां जा रहा है?’…ठोस कचरा प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट का ` ईडी’ सरकार से सवाल… लगाई तगड़ी फटकार

सामना संवाददाता / मुंबई

सुप्रीम कोर्ट ने वसई-विरार महानगरपालिका में कचरा प्रबंधन परियोजना को लेकर राज्य सरकार को तगड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार वैâसे कह सकती है कि उसके पास कोई फंड नहीं है? आखिर पैसा कहां जा रहा है? क्या महत्वपूर्ण परियोजनाओं के लिए कोई फंड नहीं है? अदालत ने राज्य सरकार से ऐसे कई सवाल पूछे। अदालत ने कहा कि अपशिष्ट एवं सीवेज उपचार संयंत्र जैसी महत्वपूर्ण परियोजना पर राज्य सरकार का रुख बेशर्मी भरा है। साथ ही यह भी निर्देश दिया कि धनराशि एक हलफनामे के माध्यम से उपलब्ध कराई जाए।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने २४ जनवरी २०२५ को महाराष्ट्र सरकार को वसई-विरार नगर निगम में ठोस कचरा प्रबंधन संयंत्रों के लिए फंड आवंटित न करने पर कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने पर्यावरण संरक्षण में लापरवाही को गंभीर चिंता का विषय बताया। कोर्ट ने कहा, `ये दो परियोजनाएं ठोस कचरा प्रबंधन नियम, २०१६ को लागू करने के लिए बेहद जरूरी हैं। अगर फंड नहीं है, तो पैसा कहां जा रहा है? राज्य सरकार को यह स्पष्ट करना होगा।’१५ जनवरी २०२५ को शहरी विकास विभाग ने कोर्ट में फंड की कमी का हवाला दिया था। इससे असंतुष्ट सुप्रीम कोर्ट ने प्रमुख सचिव एच. गोविंदराज को २४ जनवरी को वीडियो कॉन्प्रâेंसिंग के जरिए पेश होकर सफाई देने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, `हम वायु प्रदूषण से जुड़े ठोस कचरा प्रबंधन नियमों की बात कर रहे हैं। इन नियमों का पालन न करना पर्यावरण के लिए घातक है।’
२१ फरवरी तक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वह २१ फरवरी तक हलफनामा दाखिल करे, जिसमें यह स्पष्ट हो कि फंड कब जारी होगा। साथ ही यह भी बताना होगा कि महाराष्ट्र के कितने नगर निकाय ठोस कचरा प्रबंधन नियम, २०१६ का पालन कर रहे हैं। कोर्ट ने कहा, `यह अजीब है कि सरकार फंड की कमी का बहाना बना रही है। हम यह भी जानना चाहते हैं कि राज्य का पैसा कहां जा रहा है।’
पर्यावरण सुरक्षा में सरकार की जिम्मेदारी
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को पर्यावरण सुरक्षा के प्रति लापरवाही का जिम्मेदार ठहराते हुए चेतावनी दी कि इस मामले में किसी भी प्रकार की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अन्य समाचार