सामना संवाददाता / मुंबई
करोड़ों रुपए के टोरेस ज्वेलरी घोटाले में विसल ब्लोवर होने का दावा करनेवाले चार्टर्ड अकाउंटेंट अभिषेक गुप्ता ने अपनी जान को खतरा बताते हुए पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए मुंबई हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। आभूषण स्टोर शृंखला पर मुंबई महानगर क्षेत्र में हजारों निवेशकों से करोड़ों रुपए की ठगी करने का आरोप है।
टोरेस ज्वेलरी के पीछे की संस्था प्लेटिनम हर्न प्राइवेट लिमिटेड के खातों का ऑडिट करनेवाले गुप्ता ने अपनी याचिका में कहा कि वह एक ‘कमजोर गवाह’ है, जो ‘घोटाले के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा खत्म किए जाने’ के जोखिम का सामना कर रहा है। गुप्ता की याचिका में दावा किया गया है कि प्लेटिनम हर्न से उनका परिचय इसके एक निदेशक ने कराया था, जिसे उन्होंने अपनी कंपनी के बारे में जानकारी दी थी।
गुप्ता ने आरोप लगाया कि उन्हें लोअर परेल स्थित कंपनी के कॉर्पोरेट कार्यालय में बुलाया गया, जहां तीन यूक्रेनी नागरिकों- दो पुरुष और एक महिला ने उन्हें धमकाया। उन्हें कथित तौर पर चुप रहने के लिए ५ करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की गई और धोखाधड़ी का खुलासा करने पर उन्हें नुकसान पहुंचाने की धमकी दी गई। गुप्ता की याचिका में कहा गया है कि एनएम जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराने के बावजूद उनकी शिकायतों को नजरअंदाज किया गया।
उन्होंने बताया कि उन्हें कई बार अज्ञात व्यक्तियों द्वारा धमकियां दी गर्इं और उन पर हमला करने की कोशिश की गई। याचिका में बताया गया है कि गुप्ता ने २६ दिसंबर, २०२४ को प्लेटिनम हर्न की ऑडिट रिपोर्ट तैयार की और तीन दिन बाद अधिकारियों से संपर्क किया, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। इसके बाद उन्होंने पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय और अन्य एजेंसियों को अनियमितताओं के बारे में सूचित किया।
क्या है घोटाला?
टोरेस ज्वेलरी ने एक परिष्कृत पोंजी स्कीम के माध्यम से १२५,००० निवेशकों से १,००० करोड़ रुपए की ठगी की। निवेशकों को असाधारण रूप से उच्च रिटर्न का वादा किया गया था- सोने पर ४८ प्रतिशत वार्षिक, चांदी पर ९६ प्रतिशत और साप्ताहिक भुगतान के साथ ५२० प्रतिशत वार्षिक। नकली आभूषण दिखाकर और शुरुआती रिटर्न देकर, कंपनी ने विश्वास हासिल किया और निवेशकों को बड़ी मात्रा में फिर से निवेश करने के लिए प्रेरित किया। इसके अचानक बंद होने से हड़कंप मच गया, ६ जनवरी तक ५०० से अधिक निवेशकों ने शिकायत दर्ज कराई।